मधेपुरा शहर के अंग्रेजी के सुप्रसिद्ध शिक्षक नरेंद्र झा का शनिवार को आकस्मिक निधन हो गया. कई दशकों से लगातार मधेपुरा स्थित मुख्य बाजार में रेमंड शो रूम के सामने वाली बिल्डिंग में उन्होंने हजारों बच्चों को अंग्रेज़ी की शिक्षा दी. मिली जानकारी अनुसार शुक्रवार को अचानक उनकी तबीयत खराब हुई जिसके बाद उन्हें स्थानीय डॉक्टरों ने दरभंगा रेफर कर दिया. लेकिन दरभंगा पहुंचते ही उनकी साँस टूट गई. यूँ अचानक शिक्षक नरेंद्र झा के चले जाने से उनके परिवार सहित छात्रों एवं मित्रों में शोक व्याप्त है. रविवार को मधेपुरा स्थित सुखासन घाट पर उनके बड़े सुपुत्र ने मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया. वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटे, बहु समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए. दाह – संस्कार में सभी नाते-रिश्तेदारों, मित्रों सहित शहर के तमाम गणमान्य व्यक्तियों ने शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया और परिवार को ढाँढस बंधाया.
छोटे भाई बिनोद कुमार झा ने जानकारी देते हुए बताया कि 3-4 दिन पहले जाँघ में दर्द हुआ, जिसका प्राथमिक उपचार करने पर दर्द ठीक हो गया. स्थानीय डॉक्टर ने जाँचोपरांत बताया कि हड्डी टूट गई है. 7 जुलाई को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई. जिसके बाद डॉक्टरी परामर्श पर उन्हें कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज मधेपुरा ले जाया गया. वहाँ व्यवस्था ठीक नहीं मिली. डॉक्टरों ने कोरोना जाँचोपरांत रिपोर्ट निगेटिव बताया और वहाँ से रेफर कर दिया गया. चुँकि मरीज की हालत बहुत खराब थी इसलिए तब परिजन उन्हें इलाज के लिए सूर्या अस्पताल सहरसा ले गये. जहाँ जाते ही पहले मोटी रकम वसूली गई फिर 5 से 10 मिनट आई सी यू में रखा गया. लेकिन बावजूद इसके कि मधेपुरा मेडिकल कॉलेज में उन्हें कोरोना निगेटिव बताया गया था फिर भी सूर्या अस्पताल ने भर्ती करने के बाद तुरंत कोरोना संदिग्ध बताकर वापस लौटा दिया और पैसे भी रख लिए. वापस मरीज को लेकर परिजन मेडिकल कॉलेज लौटे. लेकिन डॉक्टरों ने कोई उपचार नहीं किया. इलाज के लिए दरभंगा जाने के क्रम में हरदी चौघारा के पास मौत हो गई. उन्होंने कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं सूर्या अस्पताल पर गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का आरोप लगाया है.