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Friday, March 28, 2025
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मंजूबाला ने सैकड़ों समर्थकों संग बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिव पासी जी का किया स्वागत

संवाददाता

बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षा मंजूबाला पाठक ने दिनांक 26/03/2025 को बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिव सह अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के सचिव श्री सुशील कुमार पासी जी को सैकड़ों समर्थकों के साथ रामनगर के पकड़ी देवराज चौक पर स्वागत किया।

आपको बताते चले कि मंजूबाला पाठक बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षा है और पार्टी की मजबूती के लिए लगातार काम करती है।पिछले कुछ दिनों से नरकटियागंज विधानसभा के अलग अलग गांवों में जाकर मंजूबाला पाठक बिहार कांग्रेस प्रभारी सचिव सुशील कुमार पासी जी के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगातार काम करते आ रही है और उसी का नतीजा है कि सुशील पासी जी के दौरे पर सैकड़ों समर्थकों के साथ उनका स्वागत एवम् अभिनंदन किया।

मंजूबाला पाठक द्वारा किए गए बेहतर स्वागत एवम् अभिनंदन से गदगद बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिव सुशील कुमार पासी जी ने मंजूबाला पाठक को भविष्य का नेता और महिलाओं के लिए सदैव आवाज बुलंद करने वाली नेत्री बताया।

ज्ञात हो कि मंजूबाला पाठक के समर्थकों ने कांग्रेस के वरीय नेताओं सहित बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार पासी जी को नारों,स्लोगन और फुल मालाओं के साथ स्वागत एवम् अभिनंदन किया।

उसके बाद दर्जनों गाड़ियों और सैकड़ों मोटरसाइकिल के साथ मंजूबाला पाठक का काफिला सुशील कुमार पासी जी के साथ कार्यक्रम स्थल पहुंचा।

जहां मंजूबाला पाठक के साथ मंचासिन सभी कांग्रेस नेताओं को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया।

तत्पश्चात मंजूबाला पाठक ने मिडिया के निवेदन पर साक्षात्कार दिया।

साथ ही मंजूबाला पाठक ने संविधान बचाओ आंदोलन को भविष्य में मजबूती प्रदान करने को आश्वासन दिया।

राष्ट्रीय व्यापार संघ द्वारा बिहार दिवस के अवसर पर लोगों को किया गया सम्मानित

संवाददाता

आज सगुना मोर स्थित धारा मेंशन के सभागार में राष्ट्रीय व्यापार संघ द्वारा 101 लोगों को अलग-अलग क्षेत्र में लोगों को किया गया सम्मानित इस मौके पर सूचना जनसंपर्क विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता उपेंद्र प्रसाद बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुषमा साहू अधिवक्ता शिवकुमार यादव एवं अन्य लोगों ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया

इस मौके पर व्यापार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर चौधरी ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होने से व्यापारियों में एक अलग तरह का उत्साह बढ़ेगा जिसके बाद व्यापारियों को एक होना पड़ा है और आने वाले समय में इस तरह कार्यक्रम होने से व्यापारियों में मजबूती होगी
बिहार के प्रदेश अध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम अपने बिहार में होना चाहिए

इस मौके पर भोजपुरी अभिनेत्री पल्लवी गिरी माही खान भोजपुरी अभिनेता विमल पांडे आदित्य मोहन दुबे सुजीत सार्थक समाजसेवी प्रियंका रंजन डॉ राकेश कुमार डॉ विजेंद्र कुमार अनुराग मूवी के निर्देशक रंजीत महापात्रा
नव प्रदेश के संपादक मधुकर कुमार सिंह आर.भी.पी एंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर अनुराग कुमार, पुष्पांजलि बिल्डर के डायरेक्टर गोविंद आनंद पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता उमाशंकर शर्मा अधिवक्ता रंजन सिन्हा एवं अन्य को सम्मानित किया गया

इस मौके पर मंच का संचालन बबली चंद्र एवं गरिमा यादव के द्वारा किया गया इस कार्यक्रम का रेडियो पार्टनर बजाओ रेडियो के स्टेशन हेड रंजय बबला ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम होना चाहिए

सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र का हुआ शुभारंभ

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 24 मार्च ::

राष्ट्रीय मानव अधिकार रक्षक ने पटना स्थित दीघा कार्यालय में सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार ने दी।

उन्होंने बताया कि यह सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रशिक्षण केन्द्र में सिलाई, कढ़ाई और डिजाइनिंग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और स्वरोजगार का अवसर प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

अरविंद कुमार ने बताया कि सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र शुभारंभ कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय मानव अधिकार रक्षक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रितु कुमारी द्वारा किया गया है। उक्त अवसर पर संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा, सक्रिय सदस्य माला और शिक्षिका इंदु उपाध्याय सहित अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।

उन्होंने बताया कि मानव अधिकार रक्षक संस्था ने पटना जिले के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के प्रशिक्षण केन्द्र खोलेगी , ताकि जिससे अधिक से अधिक महिलाओं को इस लाभकारी पहल का फायदा मिल सके।

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किसी भी राज्य को परिसीमन से नुकसान नहीं होना चाहिए 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 22 मार्च, 2025 ::

देश की आबादी और बढ़ती आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परिसीमन अनिवार्य है, लेकिन इससे किसी भी राज्य को, लोकसभा सीटों की नुकसान नहीं होना चाहिए। देश में 2026 में जनगणना होनी है, जिसके कारण संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन भी किया जाएगा। क्योंकि संसद और राज्य विधानसभाओं में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या को अद्यतन जनसंख्या के अनुसार तय किया जाता है। 2021 में देश की जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस के कारण नहीं हो पाई।

लोकसभा सीटों को लेकर परिसीमन प्रक्रिया की शुरुआत यदि 2026 से होगी, तो ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव में लगभग 78 सीटों की बढ़ोतरी होने की संभावना है। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या आधारित परिसीमन का विरोध किया है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार समानुपातिक आधार पर परिसीमन की तरफ बढ़ सकती है।

वर्ष 2026 में होने वाले परिसीमन ने दक्षिण की रोजनीति में हड़कंप मचा दिया है। क्योंकि परिसीमन होने पर दक्षिण भारत के राज्यों में लोकसभा सीटों की कटौती होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में दक्षिणी राज्यों से बड़ा आंदोलन होना निश्चित है। फिलहाल, केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वाक युद्ध चरम पर है।

2025 तक जनसंख्या प्रोजेक्शन के डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 14, बिहार में 11, छत्तीसगढ़ में 1, मध्य प्रदेश में 5, झारखंड में 1, राजस्थान में 7, हरियाणा में 2 और महाराष्ट्र में 2 सीटों के बढ़ोतरी होने की संभावना है। वहीं, तमिलनाडु में 9, केरल को 6, कर्नाटक को 2, आंध्र प्रदेश को 5 तेलंगाना को 2, ओडिशा को 3 और गुजरात को 6 सीटों का नुकसान होने की भी अनुमान है।

1951 की जनगणना के बाद, 1952 के परिसीमन आयोग अधिनियम ने लोकसभा और राज्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं तय करने के लिए, पहला परिसीमन आयोग बनाया गया था। इन सीमाओं को बाद में 1962, 1972 और 2002 के परिसीमन आयोग अधिनियमों के तहत स्थापित परिसीमन आयोगों द्वारा तीन बार निर्धारित किया गया था। हाल ही में हुए परिसीमन में 2001 की जनगणना के आधार पर कुछ निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को, फिर से निर्धारित किया गया था। हालाकि, लोकसभा सीटों की संख्या प्रत्येक राज्य के लिए आवंटन और राज्य विधानसभाओं में सीटों की संख्या 1972 के परिसीमन के बाद से नहीं बदली है।

परिसीमन में जनगणना के महत्व की बात करें तो, जनगणना के आंकड़े परिसीमन का मुख्य आधार होते हैं। दक्षिण राज्यों की आशंका का मुख्य मुद्दा यही जनसंख्या है। उन्हें डर है कि उत्तर भारतीय राज्यों की जनसंख्या नियंत्रण में विफलता के कारण संसद में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है, जबकि दक्षिण में जनसंख्या नियंत्रण सफल रहा, ऐसी स्थिति में, संसद में प्रतिनिधित्व के मामले में जनसंख्या के कारण उन्हें नुकसान हो सकता है।

1971 की जनगणना के आधार पर, लोकसभा सीटों की संख्या 543 तय की गई थी, इस आधार पर प्रत्येक सांसद, लगभग दस लाख भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते है। संविधान के 42वां संशोधन अधिनियम 1976, जिसे आपातकाल की सरकार ने भारत की जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पारित किया था, उसके बाद 2000 के बाद पहली जनगणना होने तक लोकसभा सीटों की संख्या को स्थिर कर दिया गया और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस रोक को कम से कम 2026 तक बढ़ा दिया था।

परिसमीन, अनुच्छेद 81 के तहत ‘एक नागरिक, एक वोट, एक मूल्य’ का सिद्धांत निर्धारित करता है। संविधान का अनुच्छेद 82 में कहा गया है कि प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, राज्यों को, लोकसभा में सीटों का आवंटन और प्रत्येक राज्य को, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन, ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से पुनः समायोजित किया जाएगा, जो कि संसद द्वारा निर्धारित अनुच्छेद 170(3) प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, प्रत्येक राज्य की विधानसभा में, सीटों की कुल संख्या और प्रत्येक राज्य को, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित करने का पुनः समायोजन प्रदान करें। साधारण शब्दों में कहा जाए तो कुल जनसंख्या के आधार पर संसद द्वारा तय मानकों के आधार पर होता है।

राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग की नियुक्ति होती है, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त या उनके प्रतिनिधि तथा राज्य चुनाव आयुक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा, परिसीमन से गुजरने वाले प्रत्येक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश के लिए सहयोगी सदस्य नियुक्त किए जाते हैं। ये सदस्य लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नियुक्त मौजूदा सांसद और संबंधित विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा नियुक्त विधायक होते हैं।

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हर क्षेत्र में विधिक जागरुकता शिविर लगाई जायेगी : धर्मनाथ

सम्वाददाता
फतुहा

वाणी पुस्तकालय में शनिवार को विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति, प्रेमयूथ फाउंडेशन एवं पतंजलि आरोग्य मंदिर, पटना के सौजन्य से आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पटना के पूर्व जिला जज दामोदर प्रसाद मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि देर से न्याय अन्याय है । न्यायलयों में न्याय के नाम पर सिर्फ तारीख पर तारीख मिलता है । लाखो मामले न्यालयो में लमवित है । लोक अदालत और ग्राम कचहरी को सशक्त बनाने की जरूरत है । उन्होनो लोगो से संविधान के अनुसार कार्य करने का आह्वान किया है । बिहार वार काउंसिल पूर्व उपाध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद यादव ने कानूनी जानकारी के साथ-साथ विधिक कार्यशैली में सुधार की संभावनाओं पर बल दिया। उन्होंने ने कहा कि आज न्यायिक प्रक्रिया काफी जटिल हो चुकी है। न्यायालय में हजारों केस लंबित पड़े हैं, यही कारण है कि लोगों को न्याय के लिए वर्षों भागदौड़ करनी पड़ती है। कोशिश यह की जाय कि आपसी मतभेदों को खुद ही या फिर गांव, समाज की मदद से मिल बैठकर सुलझा लें। उन्होने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए जगह-जगह यह मुफ्त शिविर लगाया जा रहा है ताकि लोग कानूनी दांव-पेंच को समझें और अधिक-अधिक ऐसे पचड़ों में पड़ने से बचें। मौके पर मौजूद थानाध्यक्ष रूपक कुमार अंबुज ने युवाओ से आह्वान किया कि अपराधी एवं अराजक तत्वों से दूर रहे । जीवन में शॉटकट अपनाने से बचे । यातायात के नियमों का पालन करें । प्रेम यूथ फाउंडेशन संस्थापक गांधीवादी प्रेम जी ने कहा कि धर्म सबसे बड़ा अनुशासन है हर व्यक्ति संविधान का पालन करें , मौके पर पत्रकार आनंद कुमार पाठक , मनोज सिन्हा, सुधीर कुमार सिंह, भूषण प्रसाद, डॉ लक्ष्मी नारयणसिंह , गौरव गुप्ता, सुरजीत पांडेय, अनामिका अग्रवाल , श्वेता को स्मृति चिन्ह एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।मौके पर पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं विधि विमर्श के संपादक रणविजय सिंह, अरुण कुशवाहा, इन्द्रदेव प्रसाद, अजीत कुमार, दयानंद यादव ने भी अपने विचार रखे।

22 मार्च को 113 वर्ष का होगा बिहार 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 12 मार्च, 2025 ::

भारत के मानचित्र पर बिहार प्रान्त का अस्तित्व 01ली अप्रील, 1912 को आया था और बिहार बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बना था। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा बिहार, उड़ीसा तथा छोटनागपुर को बंगाल से अलग करने की घोषणा 12 दिसम्बर, 1911 को की गई थी, जिसकी अधिसूचना 22 मार्च, 1912 को निकाली गई थी, इसलिए बिहार दिवस प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। इस प्रकार इस वर्ष बिहार 113 साल का होगा।

इतिहास बताता है कि पलासी के युद्ध से पूर्व बिहार एक अलग सुवा हुआ करता था, परन्तु बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल, बिहार और उड़िसा “इस्ट इंडिया कम्पनी” के हाथ में चले जाने के कारण बिहार के सुवा रहने का अस्तित्व समाप्त हो गया और वर्ष 1886 में बिहार बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया और यह हिस्सा वर्ष 1905 तक बना रहा।

बिहार जबतक प्रेसीडेंसी का हिस्सा रहा तबतक बिहार को लोअर बंगाल कहा जाता था। वर्ष 1905 में बंगाल प्रेसीडेंसी से पूर्वी बंगाल को अलग कर दिया गया और वर्ष 1912 में बंगाल से बिहार अलग होकर उड़िसा के साथ अलग प्रान्त बना। 01ली अप्रील, 1936 को उड़िसा से अलग होकर बिहार, और वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर नया राज्य झारखण्ड, बना।

वेदों, पुराणों, महाकाव्यों में बिहार का प्राचीन नाम “बौद्ध बिहार” का उल्लेख है। सर्वविदित है कि बिहार का केन्द्र बिन्दु प्राचीनकाल से सामाजिक, राजनीतिक तथा उत्थान का रहा है। बिहार की भूमि चन्द्रगुप्त, अशोक, शेरशाह जैसे लोगों की जन्म एवं कर्म स्थली और गौतमबुद्य वर्धमान महावीर की ज्ञान स्थली रहा है। वहीं बिहार की भूमि का गाथा महात्मा गाँधी, जयप्रकाश नारायण, चाणक्य, आर्यभट्ट, समुंद्रगुप्त, विद्यापति, गुरु गोबिंद सिंह, बाबू कुंवर सिंह, सच्चिदानन्द सिन्हा, ब्रजकिशोर प्रसाद, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना मजहरुल हक जैसे महापुरुषों से जुड़ा है।

बिहार समृद्ध इतिहास से भरा-पूरा एक अनूठा राज्य है। माना जाता है कि बिहार शब्द की उत्पत्ति बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुई है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड है। वर्तमान में बिहार की राजधानी पटना गंगा नदी के तट पर स्थित है। विश्व में बिहार मखानों और मधुबनी चित्रकारी के लिए मशहूर है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम की पत्नी सीता बिहार की राजकुमारी थी। वह विदेह ( वर्तमान में उत्तर-मध्य बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मधुबनी और दरभंगा) के राजा जनक की बेटी थी । किंवदंतियों के अनुसार, सीता का जन्म स्थान पुनाउरा है, जो सीतामढ़ी शहर के पश्चिम में स्थित है। हिन्दू महाकाव्य ‘रामायण’ के लेखक महर्षि वाल्मीकि के बारे में भी कहा गया है कि वे पश्चिम चंपारण जिले के एक छोटे से शहर वाल्मीकि नगर में रहते थे।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने किया था। उस समय उनका उम्र लगभग अस्सी साल था और उनका स्वास्थ्य भी कमजोर था, लेकिन उन्होंने लगभग एक वर्ष तक एक अच्छी लड़ाई लड़ी और ब्रिटिश सेना को परेशान किया तथा अंत तक अजेय रहे। वे छापामार युद्ध की कला के विशेषज्ञ थे। उनकी रणनीति ने ब्रिटिशों को हैरान कर दिया था। ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर ईसा से लगभग छठी सदी पहले विश्व का पहला ‘गणराज्य’ वैशाली ही था। वैशाली नगर वज्जी महाजनपद की राजधानी थी।

पुरानी बस्ती “चिरांद गाँव” जो बिहार की सारण में है वो करीबन 2500 वर्ष पूर्व की है। बिहार से “नूर उल अनवर” उर्दू समाचार पत्र का सर्वप्रथम प्रकाशन वर्ष 1853 में आरा से, “बिहार बंधु” हिन्दी समाचार का प्रकाशन सर्वप्रथम बिहारशरीफ से बाद में वर्ष 1872 में आरा से तथा “बिहार हेराल्ड” अंग्रेजी समाचार पत्र का प्रकाशन वर्ष 1874 में पटना से शुरू हुआ था।

बिहार राज्य का चिन्ह “पीपल”, पुष्प “गेंदा”, पशु “बैल” और पंछी “गोरैया” है। बिहार में प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को “गोरैया” दिवस मनाया जाता है।

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महुआ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की हुई बैठक

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 20 मार्च ::

महुआ विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का बैठक अमरेंद्र कुमार अरुण के आवास पर महुआ में आयोजन किया गया।

बैठक की अध्यक्षता पूर्व मंडल अध्यक्ष शिवजी प्रसाद सिंह ने किया। बैठक में गौरी शंकर सिंह, सुरेंद्र प्रधान, देवेंद्र कुमार, बालेसर शाह, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, ओम प्रकाश सिंह, अमरिंदर कुमार, अरुण, अरुण कुमार सिंह, शिव चंद्र प्रसाद शाह, डॉक्टर सुरेश प्रसाद गुप्ता, डॉक्टर सुरेंद्र ठाकुर, विनय कुमार विमल, अमर कुशवाहा, मोहन सिंह, राकेश सिंह, राजेश शाह, विजय कुमार साह, आनंद प्रकाश, अरविंद कुमार, कुमोद कुमार सिंह, जय किशोर पटेल सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

बैठक में सामूहिक रूप से निर्णय लिया गया कि जिस तरह से पार्टी संगठन में, वर्तमान में कार्य किया जा रहा है, इससे विशुद्ध होकर निर्णय लिया गया कि पार्टी अगर संज्ञान में नहीं लेती है तो समानांतर संगठन खड़ा किया जाएगा।

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भाजपा ने दुर्गेश राय पुनः बनाया कुशीनगर जिला अध्यक्ष

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 17 मार्च, 2025 ::

भारतीय जनता पार्टी ने कुशीनगर जिला अध्यक्ष दुर्गेश राय को फिर से मनोनीत किया है। उक्त जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता सह संपादक घटना चक्र टाइम्स दीपक कुमार अभिषेक ने दी।

उन्होने बताया कि दुर्गेश राय इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के कुशीनगर जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके द्वारा पार्टी के गतिविधियों को बढ़ाने, सद्भावना के साथ कुशीनगर में अच्छा कार्य करने और कुशीनगर के कार्यकर्ताओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर अच्छी गतिविधि बनाए रखने के कारण इन्हें पुनः जिला अध्यक्ष का दायित्व सौंपा है।

दीपक अभिषेक ने कहा कि पुनः जिला अध्यक्ष बनने पर दुर्गेश राय को बधाई देने वालों की तांता लगा हुआ है। वहीं फाजिलनगर के भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राकेश मिश्रा ने पुनः जिला अध्यक्ष बनने पर उनका स्वागत किया।

उक्त अवसर पर राकेश मिश्रा ने कहा कि कुशीनगर के लोग दुर्गेश राय के कार्यों की सराहना करते हुए थकते नहीं हैं। दुर्गेश राय पार्टी संगठन को मजबूती देने में हमेशा आगे रहते हैं।

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बिहार के लिए राजनीतिक विकल्प बन रहा है आसा पार्टी

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 17 मार्च, पटना 2025 ::

बिहार में कई राजनीतिक पार्टियां अपनी जमीन तलाशने में लगी हैं वहीं “आप सबकी आवाज (आसा)” पार्टी अपनी संगठन को मजबूत करने में लगी है। यह कहना उचित प्रतीत होता है कि जिस प्रकार से जमीनी स्तर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाया है और बना रहा है उससे यह कहना न्याय संगत कहलाएगा कि बिहार की राजनीति में नया विकल्प बन रही है।

बिहार में इसी वर्ष होने वाली विधानसभा चुनाव में और जनता नई विकल्प खोज रही है और आसा पार्टी गांव- गांव तक पहुंच कर अपनी पार्टी के प्रतिनिधि तैयार कर रही ऐसी स्थिति में यह निश्चित है कि बिहार की राजनीति में आसा पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

आसा पार्टी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के माध्यम से पटना, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सिवान, सुपौल, नालंदा, पूर्णिया, आरा, मधेपुरा, दरभंगा, भागलपुर, जहानाबाद, सहरसा, अररिया, गोपालगंज, छपरा, मुंगेर, बेगूसराय एवं पूर्णिया में पार्टी गठित कर दिया है। वहीं समस्तीपुर जिला अध्यक्ष संतोष राय उर्फ यशवंत राय ने समस्तीपुर जिला उपाध्यक्ष सह प्रभारी खानपुर और शिवाजीनगर के पद पर पवन कुमार शर्मा को, समस्तीपुर जिला महासचिव के पद पर हेम नारायण महतो, मुकेश कुमार ठाकुर, राम नारायण महतो, संतोष कुमार ठाकुर, विनय कुमार राय को. सिंधिया प्रखंड अध्यक्ष के पद पर बोलबम दास को, शिवाजीनगर प्रखंड अध्यक्ष के पद पर विनीत कुमार शर्मा को, रोसरा प्रखंड अध्यक्ष के पद पर राजेश चंद्र गारा को, समस्तीपुर जिला उपाध्यक्ष के पद पर सुरेश प्रसाद को, समस्तीपुर नगर अध्यक्ष के पद पर श्रीमति अनामिका राय को, पुसा प्रखंड अध्यक्ष के पद पर कुंदन कुमार को, ताजपुर प्रखंड अध्यक्ष के पद पर देवकी नंदन गौतम को, मोहनपुर प्रखंड अध्यक्ष के पद पर सुधाकर प्रसाद राय को, कल्याणपुर प्रखंड अध्यक्ष के पद पर नीरज कुमार को और वारिसनगर प्रखंड अध्यक्ष के पद पर कुंदन कुमार को नियुक्त किया है।

आसा पार्टी के मुखिया राम चन्द्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) के दिशा-निर्देश पर पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी जमीनी और बूथ स्तर पर पार्टी को अधिक मजबूत करने के लिए अभियान चलाकर कार्य शुरू कर दिया है और इसका अच्छा परिणाम दिख रहा है। आसा पार्टी हर वक्त चुनाव को ध्यान में रख कर अपनी पार्टी को तैयार करने में लगा हुआ है।

सूत्रों की माने तो आसा पार्टी देश के कई राज्यों में, पार्टी की मजबूती के लिए, सिक्किम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल के अध्यक्षों द्वारा काम किया जा रहा है। पिछड़ा प्रकोष्ठ सहित 26 प्रकोष्ठ कार्य कर रहा है।

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भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी – 15 मार्च को हुई बिहार में होली

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 16 मार्च, 2025 ::

भारत में इस वर्ष होली दो दिन मनाया गया। 14 मार्च को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटका, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में होली मनाया गया। वहीं, बिहार एव कुछ अन्य राज्यों में होली 15 मार्च को मनाया गया।

बिहार के पटना जिला में सुबह से ही होली की धूम मची हुई थी। लोग छोटी-छोटी टोली बनाकर अपने परचितों, सगे संबंधियों के घर जाकर रंग भरी धुरखेली होली खेलते देखा गया। राजधानी पटना के कदमकुंआ, पीरमुहानी, कंकड़बाग, आशियाना, दानापुर, गर्दनीबाग, बिहटा, कोरहर, दीघा में लोगों ने जमकर रंगों का घमाल किया। वही, संध्या समय लोग नये-नये परिधानों में उमंग के साथ गुलाल खेले और पकवानों का आनंद लिया। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर होली पूर्णतः शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई।

हम सभी लोग जानते हैं कि होली का अर्थ ही होता है रंगों की होली, बुराई पर अच्छाई की होली, दुष्प्रवृत्ति एवं अमंगल विचारों का नाश की होली, अनिष्ट शक्तियों को नष्ट कर ईश्वरीय चैतन्य प्राप्त करने और सदप्रवृत्ति मार्ग दिखाने वाला उत्सव है होली। मनुष्य के व्यक्तित्व, नैसर्गिक, मानसिक और आध्यात्मिक कारणों से भी होली का संबंध को मानते है । आध्यात्मिक साधना में अग्रसर होने हेतु बल प्राप्त करने से भी इसे जोड़ा जाता है। वसंत ऋतु के आगमन और अग्नि देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन भगवान महादेव की नगरी वाराणसी में रंगों की होली के अलावे रंगभरी एकादशी पर चिताभस्म की होली खेली जाती है। मान्यता हैं कि भगवान महादेव के अनन्य भक्त औघड़ संतों हरिश्चन्द्र घाट पर एकत्र हो कर चिता के भस्म (राख) की होली खेलते हैं।

रंगभरी एकादशी को क्रींकुण्ड से काशी तक महाकाल की बारात निकाली जाती है और हरिश्चंद्र घाट पहुँच कर वहां भगवान महादेव के भक्त औघड़ चिता भस्म से होली खेलते हैं। बारात की शोभायात्रा में बग्‍घी, ऊंट, घोड़ा आदि शामिल रहता है और ट्रकों पर भक्तजन शिव तांडव नृत्य करते हुए नर-मुंड की माला पहने रहते हैं। भगवान महादेव के श्रद्धालु लोग बाबा मशान नाथ का जयकारा लगाते रहते हैं। हर हर महादेव का गगनभेदी जयकारा रास्‍ते भर लगाते रहते हैं। इस प्रकार रंगभरी एकादशी के दिन वाराणसी में लोग मस्ती में सराबोर होकर पूरी निष्ठा एवं हर्षोल्लास के साथ बारात में शामिल होते हैं।

यह भी मान्यता है कि काशी पुराधिपति महादेव बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी पर गौरा (माता पार्वती)का गौना (विदाई) करवाने आते हैं और वाराणसी के टेढ़ी नीम से महादेव माता गौरा (पार्वती) का गौना करवा कर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लिए चल देते हैं। इसी खुशी में भगवान महादेव के भक्त औघड़ संतों ने हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली खेलते हैं और गाते हुए नाचते रहते हैं भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी। इस समय जो नाच होता है वह शिव तांडव नृत्य के अंदाज में रहता है। वाराणसी के रविन्द्रपुरी स्थित भगवान महादेव की कीनाराम स्थली क्रीं कुंड से औघड़ सन्तों के साथ हरिश्चंद्र घाट तक एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में उस क्षेत्र के लोग महिलाओं के साथ सक्रिय रुप से भाग लेते हैं।

काशी मोक्षदायनी समिति के लोगों का कहना है कि रंगभरी एकादशी पर चिताभस्म की होली खेलने की परम्परा कुछ वर्ष पहले ही शुरु हुआ है। उनका कहना है कि क्रींकुण्ड से काशी के महाकाल की बारात निकाली जाती है और बारात यहाँ से हरिश्चंद्र घाट तक जाता हैं। जहां धधकती चिताओं के बीच चिता भस्म से बाबा के भक्त होली खेलते हैं। शोभायात्रा रविन्द्रपुरी से होकर पद्मश्री चौराहा, शिवाला चौराहा होते हुए हरिश्चंद्र घाट पहुंचती है।, जहां भक्तों के राग विराग का यह दृश्य देखकर घाट पर मौजूद लोग बाबा मशाननाथ और हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष भी करते रहते हैं।

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