कन्हैया कुमार एवं जिग्नेश मेवानी को पार्टी में शामिल होने से क्या कांग्रेस मजबूत होगी?

कन्हैया कुमार एवं जिग्नेश मेवानी को पार्टी में शामिल होने से क्या कांग्रेस मजबूत होगी?

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती के अवसर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में देश की सबसे पुरानी पार्टी “कांग्रेस पार्टी” में दो युवा नेता कन्हैया कुमार एवं जिग्नेश मेवानी ने 28 सितम्बर (मंगलवार) को सदस्यता ग्रहण किया।

कन्हैया कुमार ने “कांग्रेस पार्टी” की सदस्यता ग्रहण करने से पहले सीपीआई पार्टी के नेता थे। इससे पूर्व वे जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष थे। जेएनयू कैंपस में कुछ अज्ञात युवकों ने संसद भवन पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरू को मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ में 9 फरवरी 2016 को विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन के दौरान भारत विरोधी नारे भी लगाए गये थे। इस आरोप में तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। न्यायालय में अभी भी इस मामले की सुनवाई चल रही है। इस घटना के बाद ही कन्हैया कुमार सुर्खियों में आये है।

कन्हैया कुमार पर यह भी आरोप लगा हुआ है कि दिसंबर 2020 में पार्टी के कार्यालय सचिव इंदु भूषण के साथ पटना में उन्होंने बदसलूकी और मारपीट की थी। इस घटना के बाद हैदराबाद में सीपीआई की अहम बैठक बुलाई गई थी और कन्हैया कुमार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया था।

कन्हैया कुमार पर पटना एम्स के जूनियर डॉक्टरों ने दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे थे, जब कन्हैया कुमार AISF के बिहार प्रदेश सचिव सुशील कुमार को एम्स में देखने गए थे। सुशील एम्स के ट्रामा इमरजेंसी वार्ड में भर्ती थे। जूनियर डॉक्टरों ने आरोप लगाया था कि कन्हैया कुमार के साथ करीब डेढ़ दर्जन समर्थक ट्रामा इमरजेंसी में जाने का प्रयास कर रहे थे, सुरक्षा गार्ड लोगों को वार्ड में जाने से रोक रहा था लेकिन समर्थक गार्ड से धक्का मुक्की कर अंदर चले गए। वार्ड में डयूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर भी समर्थकों को वापस जाने को कहा लेकिन वे लोग नहीं गए। कन्हैया कुमार के समर्थक जूनियर डॉक्टरों के साथ भी धक्का-मुक्की करने लगे। काफी देर तक एम्स में हंगामा होता रहा और रात करीब 10 बजे जूनियर डॉक्टरों ने काम करना बंद कर दिया।

कन्‍हैया कुमार ने बेगूसराय के भगवानपुर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर के समीप दुर्गा पूजा समिति के सदस्‍यों से मारपीट की। इस दौरान पूजा समिति के दो कार्यकर्ताओं के सिर फट गए। उग्र लोगों ने कन्हैया कुमार के काफिले में शामिल आधा दर्जन वाहनों के शीशे तोड़ दिए। दोनों ओर से अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

कन्हैया की मंसूरचक में सभा थी। वे वाहनों के काफिले के साथ सभा कर अपने गांव बीहट लौट रहे थे। रास्ते में भगवानपुर बाजार स्थित बाइक शोरूम के प्रथम तल पर संचालित एक निजी कोचिंग संस्थान के संचालक से मिलने के लिए कन्हैया कुमार रुक गए। उनके काफिले की सारी गाडिय़ां सड़क पर खड़ी हो गई और जाम लग गया। इसपर बगल में सजे दुर्गा पूजा पंडाल समिति के कार्यकर्ताओं ने गाडिय़ों को साइड करने को कहा। इसी पर दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया और देखते-देखते मारपीट शुरू हो था।

कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय जिले से है। वे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय लोकसभा सीट से भाजपा नेता गिरिराज सिंह के मुकाबले 4 लाख के बड़े अंतर से हार गये थे।

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गुजरात से बडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक रहे जिग्नेश मेवानी का कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहना है कि वो तकनीकी कारणों से औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल नहीं हो सके। मैं एक निर्दलीय विधायक हूं, अगर मैं किसी पार्टी में शामिल होता हूँ, तो मैं विधायक नहीं रह सकता। मैं वैचारिक रूप से कांग्रेस का हिस्सा हूँ, आगामी गुजरात चुनाव कांग्रेस के चुनाव चिह्न से लड़ूंगा। उनका कहना है कि लोकतंत्र और भारत के विचार को बचाने के लिए, मुझे उस पार्टी के साथ रहना होगा जिसने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और अंग्रेजों को देश से बाहर निकाला। इसलिए मैं आज से कांग्रेस के साथ हूँ।

कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कन्हैया कुमार का कहा है कि कांग्रेस पार्टी एक बड़े जहाज की तरह है। अगर इसे बचाया जाता है, तो मेरा मानना है कि कई लोगों की आकांक्षाएं, महात्मा गांधी की एकता, भगत सिंह की हिम्मत और बीआर अंबेडकर के समानता के विचार की भी रक्षा होगी। इसलिए कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ हूँ। मुझे यह महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच हैं। वो देश की सत्ता पर न सिर्फ काबिज हुए हैं, बल्कि देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, इतिहास, वर्तमान, भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। नौजवानों को लगने लगा है कि कांग्रेस नहीं बचेगी तो देश भी नहीं बचेगा और ऐसे में वह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस ही नेतृत्व दे सकती है।

कांग्रेस 2024 की लोकसभा में केंद्र की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी को बेदखल करने का इरादा रखने वाली पार्टी है उन्हें विवाद, चोली-दामना का साथ रखने वाले कन्हैया कुमार कितने काम आएंगे इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। बिहार कांग्रेस के नेता अमरिंदर सिंह का कहना है कि कन्हैया कुमार के आने से पार्टी को फायदा होगा क्योंकि कन्हैया कुमार वही मुद्दे और लड़ाई लड़ रहे हैं जिन्हें कांग्रेस उठाती रही है।

कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी लड़ाई के कारण कांग्रेस की स्थिति अच्छी नही कहा जा सकता है। अब पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तिफा दे दिया है। 72 दिन के अंदर प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा कांग्रेस पार्टी में बेहद चौंकाने वाला है। सिद्धू ने 28 सितम्वर (मंगलवार) को सोनिया गांधी को पत्र लिखकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट लिखा है कि वह कांग्रेस पार्टी में बने रहेंगे।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन बंसल का कहा है कि सिद्धू का इस्तीफा उनकी निजी का फैसला है। जबकि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कहना है कि उन्होंने आलाकमान को ये पहले ही कहा था कि पंजाब जैसे बॉर्डर के राज्य के लिये सिद्दू उपयुक्त व्यक्ति नहीं हैं। उनका कहना है कि वे मुख्यमंत्री रहते कई बार हाईकमान से बातचीत की थी, लेकिन राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सिद्धू को ही महत्व दिया था। बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरण दास का कहना है कि पंजाब कांग्रेस की राजनीति के लिए अच्छी बात नहीं है। यह सिद्धू की महत्वकांक्षी प्रतिक्रिया का ही नतीजा है। सिद्धू पहले भी अपनी बयानबाजी से कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दिल दुखाते रहे हैं, हालांकि उनका इस्तीफा कांग्रेस पार्टी के लिये अच्छी बात नहीं है। पार्टी को अब पंजाब में नए सिरे से मेहनत करनी होगी।

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