जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 08 अक्टूबर :: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर में कहा है कि कंटेनमेंट जोन में किसी भी तरह की धार्मिक पूजा-पाठ, कार्यक्रम, मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जुलूस और लोगों को एकत्रित होने वाले कार्यक्रम की अनुमति नहीं होगी। धार्मिक स्थानों और नवरात्रि के पंडालों में मूर्तियों को छूने की अनुमति नहीं होगी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार के दिशा- निर्देशों में प्रशासन को त्योहारों के मौसम में साफ-सफाई, थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजेशन की व्यापक व्यवस्था रखनी होगी। नई गाइडलाइन के अनुसार, सीजन से जुड़े त्योहार, मेला, प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जुलूस और अन्य कार्यक्रम में भारी भीड़ आती है इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक स्तर पर आवश्यक जरूरतों का पालन करने की सलाह दी है।
सूत्रों ने बताया कि त्योहारों के समय निनांकित बातों पर ध्यान रखने का निदेश दिया गया है :-
1- कार्यक्रम स्थल की पहचान कर विस्तृत कार्य योजना तैयार करें ताकि थर्मल स्क्रीनिंग, शारीरिक दूरी के नियम और सैनेटाइजेशन इत्यादि के साथ नियमों का पालन हो सके।
2- रैली और विसर्जन जुलूस के मामले में लोगों की संख्या निर्धारित सीमा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
3- लंबी दूरी की रैली और जुलूस के लिए एंबुलेंस सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
4- कई दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों जैसे प्रदर्शनी, मेला, पूजा पंडाल, रामलीला पंडाल में लोगों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय होने चाहिए।
7- वालेंटियर्स को थर्मल स्कैनिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनाकर तैनात किया जाना चाहिए।
8- थियेटर और सिनेमा कलाकारों के लिए जारी गाइडलाइंस स्टेज कलाकारों पर भी लागू होनी चाहिए।
9- सैनिटाइजर और थर्मल गन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए और फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए फ्लोर पर मार्किंग की जानी चाहिए।
10- साथ ही फिजिकल डिस्टेंसिंग और मास्क का ध्यान रखा जाना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि यह भी दिशा निर्देश जारी किया गया है कि –
* कंटेनमेंट जोन में किसी तरह के कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाय।
* 65 साल से अधिक साल के व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं और बच्चे जिनकी उम्र 10 साल से कम है, उन्हें घर पर रहने की सलाह दी गई है।
* नवरात्रि के दौरान मूर्ति विसर्जन की जगहें भी पूर्व निर्धारित रहेंगी और इस दौरान भी लोगों की मौजूदगी बेहद कम संख्या में रखी जाय।
* एसओपी में कहा गया है कि जहां तक संभव हो रिकॉर्ड किए गए भक्ति संगीत या गाने बजाए जाएं और गायन समूहों को अनुमति नहीं दी जाय।
* भौतिक दूरी के मानदंडों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम स्थलों में सभी स्थानों पर उचित चिह्न लगाया जाय।