पटना : सीएम नीतीश कुमार की नजर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी पर है। सूत्रों के मुताबिक सिद्दिकी जल्द ही लालटेन छोड़ हाथों में तीर थाम सकते हैं। राजद नेता को जदयू में लाने के लिए सीएम नीतीश कुमार खुद प्रयासरत हैं। उन्होंने कई बार इशारों में ही सिद्धिकी को जदयू में शामिल होने का न्योता दिया है।
क्या बोले सिद्धिकी
जदयू में शामिल होने को लेकर दैनिक भास्कर से सिद्दिकी ने बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस पर कुछ नहीं कहना चाहते। हालांकि, बातचीत के दौरान उनके अंदाज से यह बात जरूर निकलती है कि दो बार उपमुख्यमंत्री का पद ठुकराने वाला अपनी पार्टी के अंदर असहज महसूस कर रहा है। ‘नीतीश कुमार की नजर आप पर है सिद्दीकी जी’ इस सवाल पर सिद्दिकी कुछ नहीं कहते। बस मुस्कराते हैं, लेकिन कोई खंडन नहीं करते।
नीतीश ने विधानसभा में दिए थे संकेत
काफी पहले विधान सभा में सीएम नीतीश कुमार ने सिद्दिकी को दो उंगुली दिखाया था। दो अंगुली दिखाने का जवाब सिद्दिकी ने एक उंगुली दिखाकर दिया था। इसका सियासी मतलब यह निकाला गया कि नीतीश कुमार उन्हें सत्ता में दूसरे नंबर की कुर्सी यानी उपमुख्यमंत्री का पद देने को तैयार थे, लेकिन सिद्दिकी पहले नंबर की कुर्सी यानी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इस वजह से सिद्धिकी पूरी तरह से मन नहीं बना सकें थे ।
इसलिए सिद्धिकी को लाना चाहती है जदयू
फिलहाल, जदयू को एक ऐसा मुस्लिम चेहरा चाहिए, जो मुस्लिम वोट बैंक को संभाल सके और बेदाग हो। इस बार जदयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवार उतारे, लेकिन सब के सब चुनाव हार गए। 16 नवंबर को जिन 14 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, उसमें भी कोई मुस्लिम चेहरा नहीं था। दूसरी तरफ इस विधान सभा चुनाव में राजद से 8, कांग्रेस से 4, माले से एक, बसपा से एक और एआईएमआईएम से 5 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते। यानी नीतीश कुमार से मुसलमानों का जबरदस्त मोहभंग हुआ है।
राजद में सिद्धिकी का हाल
इस बार विधानसभा चुनाव में सिद्दिकी को राजद ने क्षेत्र बदल कर टिकट दिया था। अलीनगर से हटाकर केवटी से चुनाव लड़वाया। वे केवटी से चुनाव हार गए। सिद्दिकी के समर्थक मानते हैं कि उन्हें जानबूझ कर हरवाया गया। क्यों हरवाया गया, इसकी भी कहानी है। एक समय था जब सिद्दिकी के नेतृत्व में ही राजद टूट रही थी। तब से ही सिद्दिकी निशाने पर थे। लेकिन सच यह भी कि सिद्दिकी ने राजद को सींचने में काफी मेहनत की है।