कोविशील्ड वैक्सीन का साइड इफेक्ट्स भी होता है

कोविशील्ड वैक्सीन का साइड इफेक्ट्स भी होता है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर कोविशील्ड वैक्सीन को तैयार किया है और इसका उत्पादन भारत में पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। कोविशील्ड दुनियाँ की सबसे लोकप्रिय वैक्सीन में से एक है और विश्व के 62 देश इसका इस्तेमाल कर रहा है। कोविशील्ड उत्पादन एक तरह का सौदा है जिसमें प्रति वैक्सीन की आधी कीमत ऑक्सफ़ोर्ड के पास जाती है। कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है।

कोवीशील्ड एक वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है। इसे सिंगल वायरस के जरिए बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है।
यह वायरस चिंपैंजी में होने वाले जुकाम का कारण बनता है, लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना COVID के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है।

कोवीशील्ड को भी WHO ने मंजूरी दी है। इसकी प्रभाविकता या इफेक्टिवनेस रेट 70 फीसदी है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता जाता है। इतना ही नही, यह संक्रमित व्यक्ति को वेन्टिलर पर जाने से भी बचाती है।

कोवीशील्ड के रख-रखाव करना बेहद आसान है क्योंकि यह लगभग 2° से 8°C पर कहीं भी ले जाया जा सकता है, इसलिए कोवीशील्ड उपयोग में लाने के बाद, बची हुई वैक्सीन की वायल को, फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है।

सूत्रों ने बताया कि भले ही दुनियाभर के 62 देशों में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन मौजूदा समय में इस वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट्स भी सामने आए हैं जिसकी वजह से यह वैक्सीन सवालों के घेरे में भी है, खासकर ब्लड क्लॉट यानि खून का थक्का जमने का साइड इफेक्ट, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा, हल्का या तेज बुखार, बहुत अधिक सुस्ती और ऊंघाई आना, बाजू में अकड़न महसूस होना और बदन में दर्द होना देखा जा रहा है।

भारत में अभी तक तीन तरह की वैक्सीन को मान्यता दी गई है, जिसमें ICMR और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड तथा मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्पुतनिक- V (Sputnik V) है। अभी तक हमारे देश में स्वीकृत तीनों ही वैक्सीन (कोविशील्ड,कोवाक्सिन और स्पुतनिक) कोविड को गम्भीर होने और वेंटिलेटर पर जाने से बचाती है और रोग के गम्भीर होने के खतरे को टाल देती है।

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