अधूरा सच में फंसा मुख्यमंत्री केजरीवाल का घर-घर राशन योजना

अधूरा सच में फंसा मुख्यमंत्री केजरीवाल का घर-घर राशन योजना

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच लगता है विवाद कभी खत्‍म नहीं होगा। दिल्‍ली में अब नया विवाद घर-घर राशन वितरण योजना को लेकर शुरू हो गया है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय टेलीविजन पर आकर लोगों को बताया कि गरीबों के घरों पर राशन पहुंचाने वाले थे, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी योजना पर रोक लगा दी है।

सूत्रों ने बताया कि केन्द्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत मई और जून में 72 लाख कार्ड धारकों के अतिरिक्त 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है। वहीं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत मई और 5 जून तक दिल्ली को निर्धारित कोटे से अधिक 72,782 टन अनाज दिया है। जबकि केजरीवाल सरकार करीब 53,000 टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही अनाज जनता के बीच बांट पाई है।

मुख्यमंत्री केजरीवाल जनता के सामने पूरी बात न बताकर अधूरा सत्‍य पेश कर रहे हैं। केन्द्र सरकार की ओर से विभिन्‍न योजनाओं के तहत मिले राशन को ही मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी इस योजना के तहत बांटना चाहती है। यह केन्द्र सरकार को मंजूर नहीं है।

देखने से तो ऐसा प्रतीत होता है कि केजरीवाल सरकार ने गरीबों के लिए निहायत ही बहुत शानदार योजना बनाई है। इस योजना से गरीबों को बहुत राहत मिलेगी, गरीबों को राशनके लिए राशन की दुकान पर लाइन नही लगाना पड़ेगा।

केन्द्र सरकार का कहना है कि दिल्‍ली की केजरीवाल सरकार घर-घर राशन योजना को चला सकती है, लेकिन इसके लिए वह दिल्ली सरकार को अन्‍य योजनाओं के तहत मिली राशन का उपयोग नहीं कर सकती है। क्‍योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव करना संभव नहीं है और संसद से पारित कानून हर राज्य के लिए एक समान है। उसमें निगरानी और पारदर्शिता जरूरी है। केन्द्र सरकार का कहना है कि दिल्‍ली की सरकार को अपनी इस योजना के लिए केन्द्र से अधिसूचित दरों पर राशन की खरीद करनी होगी।

मुख्यमंत्री केजरीवाल केन्द्र से अधिसूचित दरों पर राशन की खरीद न कर, लोगों को यह समझाने में लगी है कि हमारी योजना केन्द्र सरकार को मंजूर नही है। इस योजना से राशन की दुकानों पर भीड़ नहीं लगेगी और राशन वितरण से कोरोना का प्रसार होने की आशंका खत्‍म हो जाएगी। उनका तो यहाँ तक कहना है कि जिस तरह लोगों को घर बैठे पिज्जा और बर्गर मिल जाते हैं, उसी तरह गरीबों को घर बैठे राशन मिल जाएगा।

नेशनल फुड सिक्योरिटी एक्ट के तहत गेहूँ पर, केन्द्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो और दिल्‍ली की सरकार मात्र 2 रुपये प्रति किलो देती है। उसी प्रकार चावल पर केन्द्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो और दिल्‍ली की सरकार मात्र 3 रुपये प्रति किलो देती है।

केन्द्र सरकार कहना है कि अधिसूचित दर पर खरीद कर यदि मुख्यमंत्री केजरीवाल राशन बाटना चाहती है तो इस पर न तो केन्द्र सरकार की और न ही किसी और को ही कोई आपत्ति होगी।

केन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की घर घर राशन पहुँचाने की योजना पर रोक नही लगाई है। केन्द्र सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अथवा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत मिले राशन को ही गरीबों के घरां तक पहुंचाना चाहते थे, तो योजना का नाम क्‍यों बदला।

मुख्यमंत्री केजरीवाल अगर इन्‍हीं योजनाओं के नाम से घर-घर राशन पहुंचाने का काम करते, तब भी जनता उन्‍हें सर आंखों पर बिठाती, लेकिन उन्‍होंने पूरा श्रेय खुद लेने के चक्‍कर में अधूरा सत्‍य जनता के सामने रखा और अपनी महत्‍वाकांक्षी योजना को विवाद का कारण बना दिया।

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