लॉकडाउन में बड़ी मुश्किल से अपने घर लौटे थे बिहारी छात्र लेकिन अब एक बार फिर उन्हें किर्गिस्तान वापस आने का फरमान आ गया है.

लॉकडाउन में बड़ी मुश्किल से अपने घर लौटे थे बिहारी छात्र लेकिन अब एक बार फिर उन्हें किर्गिस्तान वापस आने का फरमान आ गया है. कॉलेज प्रबंधक द्वारा बार-बार दबाव बनाया जा रहा है. छात्रों का कहना है कि अभी किर्गिस्तान के लिए इंटरनेशनल फ्लाइट नहीं है. इसके बावजूद उन्हें कॉलेज ज्वाइन करने का दबाव दिया जा रहा है. छात्रों ने विदेश मंत्रालय से पहल करने की गुहार लगाई है. किर्गिस्तान में 1000 से 1500 बिहारी छात्र मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. लॉकडाउन पीरियड में जब किर्गिस्तान में कोरोना का कहर बढ़ा और कॉलेज बंद हो गया. तब छात्रों ने बिहार और भारत सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाई थी. छात्रों की गुहार के बाद उनकी मदद के लिए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद एवं बिहार के मधेपुरा के गायक सुनीत साना आगे आए थे. फिलहाल सभी छात्र अपने-अपने घर में है. 20 जनवरी 2021 को किर्गिस्तान के एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूट से छात्रों को ईमेल भेजा गया कि 15 फरवरी से छात्र वापस कॉलेज आएँ और गाइडलाइन के साथ कॉलेज में पढ़ाई होगी. किर्गिस्तान में बिहार के लगभग सभी जिलों के छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. छात्रों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि अभी इंटरनेशनल फ्लाइट नहीं है. कॉलेज से जुड़े प्राइवेट फ्लाइट से बहुत ज्यादा किराया देकर जाना पड़ेगा.दूसरी तरफ कॉलेज में कोविड गाइडलाइन के अनुसार पढ़ाई की व्यवस्था भी नहीं है. छात्रों की संख्या ज्यादा है और जगह कम. ऐसे में वहाँ जाने के बाद भी ऑफलाइन ही कक्षाएं चलेंगी. यह सब कुछ हॉस्टल फीस के लिए किया जा रहा है. अभी तक हम लोगों को कोरोना का वैक्सीन भी नहीं मिला है. किर्गिस्तान में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. इसके बावजूद जबरदस्ती ई-मेल भेजकर वापस आने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

छात्रोंं ने बताया कि हम लोगों ने विदेश मंत्रालय को पीड़ा बताई है. अब बिहार सरकार भी हम छात्रोंं की मदद करे. बता दें कि हाल के दिनों में यूक्रेन में भी बिहार के एक छात्र की मौत हुई थी, जिसके बाद सभी छात्र दहशत में है. छात्रों का कहना है कि ऐसी घटना किर्गिस्तान में भी हो सकती है. इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि हम अपने देश के होनहार छात्रों को न खोए. जब ऑनलाइन क्लास लेने में कोई दिक्कत है ही नहीं तो फिर ऑफलाइन क्लास लेने की क्या जरूरत है, और उसमें भी अभी तक वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा ऐसा नहीं कहा गया है कि यह महामारी खत्म हो गई है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर बच्चे कॉलेज चले भी जाते हैं तो क्या कॉलेज प्रशासन एवं किर्गिस्तान की गवर्नमेंट इसकी जिम्मेदारी लेगी. अगर बच्चे वहाँ गए और कोई कोरोना पॉजिटिव आ गया तो फिर तो पूरे कॉलेज को क्वारंटीन होना पड़ेगा पूरे हॉस्टल को क्वारंटीन होना पड़ेगा फिर तो ऑनलाइन क्लास ही चलेगा. बच्चों का कहना है कि जब हम लोग वहाँ से वापस आ रहे थे उस समय बहुत सारे बच्चे यहाँ पहुंचने के बाद कोरोना पॉजिटिव हो गये थे तो ऐसा भी तो होगा कि यहाँ से जाने के बाद बहुत सारे बच्चे वहाँ कोरोना पॉजिटिव आएंगे तो क्या फिर हमें एक साथ बैठा कर ऑफलाइन क्लास करवाया जाएगा. बच्चों ने अभी तक कोरोना का वैक्सीन भी नहीं लगवाया है.

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