कोरोना संक्रमन काल में युवाओं को आकर्षित कर रहा है वर्चुअल ट्रायल रूम
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 12 अप्रील :: आई.टी. इनोवेशन के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तर्ज पर अर्गुमेंटेड रिएलिटी (Argumented reality) का प्रयोग किया जा रहा है। अर्गुमेंटेड रिएलिटी द्वारा आसपास के वातावरण के साथ एक अतिरिक्त आभासी दुनियाँ को जोड़कर एक वर्चुअल सीन तैयार किया जाता है, जो देखने में वास्तविक लगता है। यानि अपने ही दुनियाँ में रख कर यह तकनीक एडवांस बना देता है। उदाहरण के रूप में यह समझा जा सकता है कि मोबाईल कैमरा से अपने फोटो में बाल, दाढ़ी, मुछ आदि बना सकते हैं। लेकिन आई.टी. इनोवेशन में दिन प्रतिदिन हो रहे अनुसंधान के क्रम में अर्गुमेंटेड रिएलिटी (Argumented reality) के स्थान पर अब वर्चुअल ट्रायल रूम के तौर पर उपयोग किया जा रहा है।
आई.टी. इनोवेशन क्षेत्र में बेहतर काम करने बाले कर रहे पटना के सम्यक पाठक ने बताया कि वर्तमान समय में सबसे ज्यादा परिवर्तन होने वाले क्षेत्रों में से एक है इनोवेशन। अर्गुमेंटेड रिएलिटी (Argumented reality) के स्थान पर वर्चुअल ट्रायल रूम ज़्यादा कारगर हो रहा है। वर्चुअल ट्रायल रूम के तहत जब किसी शोरूम, मॉल में मनपसंद कपड़ों की ख़रीद करने जाते हैं और मनपसंद कपड़ों का चुनाव कर, अपने शरीर पर उसका फिटनेस, कलर आदि देखते हैं। इसके लिए इसमें मनपसंद कपड़ा को पहनकर देखते हैं। लेकिन अब मनपसंद कपड़ा को पहन कर नहीं देखना है। बल्कि केवल ” राईट हैंड अप ” यानि दायाँ हाथ उठाने पर स्क्रीन पर पूरा कपड़ा बॉडी पर दिखाई देगा। जिससे बिना कपड़ा उतारे ही कई कपड़ों को देख कर मनपसंद कपड़ों का चुनाव किया जा सकता हैं।
सभ्यक पाठक ने बताया कि आई.टी. के क्षेत्र में स्टूडेंट्स बी.टेक/सी.एस., बीसीए, एमसीए, पीएचडी आदि करके बड़े बड़े कंपनी में नौकरी करते हैं। कॉरोना काल में भी कोरोना का प्रभाव आई.टी. क्षेत्र पर ज्यादा नहीं पड़ा है और लोग अपने अपने घर (वर्क फ्रॉम होम) से काम कर रहे हैं। लेकिन इनमें से कुछ आईटी उद्यमी, स्वयं के लिए तथा दूसरों के लिए भी, रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
सम्यक पाठक भी बी. टेक. करने के बाद, स्वरोजगार/आत्म निर्भर भारत को, सशक्त बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। कई तरह के इनोवेटिव आइडिया लेकर मार्केट में आते रहते हैं और एक ही वेबसाइट से सभी तरह का सॉफ्टवेयर खरीदने का अवसर देते हैं। सम्यक पाठक का कहना है कि अर्गुमेंटेड रिएलिटी का एडवांस फॉर्म हो गया है वर्चुअल ट्रायल रूम। इसका ट्रायल ज्वेलरी, शूज़ आदि पर सबसे पहले वर्चुअल ट्रायल रूम के तौर पर किया गया जो सफल रहा।
उन्होंने बताया कि वर्चुअल ट्रायल रूम के माध्यम से एक साथ कई कपड़ों को ट्रायल कर देख सकते हैं और मनपसंद कपड़ों का चुनाव कर सकते हैं। पाठक ने यह भी बताया कि वर्चुअल ट्रायल रूम के लिए कपड़ों का अलग से लिस्टिंग किया जाता है तथा उसकी कोडिंग को कनेक्ट कर दिया जाता है। पसंददीदा एवं आरामदेह के लिए वर्चुअल ट्रायल रूम में 180 डिग्री तक की फ्लेक्सिबिलिटी होती है जिसे 360 डिग्री तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। टेक्नोलॉजी एवं कास्टिंग के लिए एक शो रूम में एक किनेट कैमरा, दो डीभाइस, स्क्रीन आदि सेटअप किया जाता है जिस पर करीब डेढ़ से दो लाख का खर्च आता है। कई शहरों में इस तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें गुड़गांव, कर्नाटका, मुंबई, पुणे आदि शहर प्रमुख है।
कोरोना संक्रमन काल में जहाँ सोसल डिस्टेंस, किसी चीज को छुने से बचकर रहना है, वहाँ वर्चुअल ट्रायल रूम
लोगों के लिए फायदेमंद और उपयुक्त प्रतीत हो रहा है। युवाओं को वर्चुअल ट्रायल रूम ज्यादा आकर्षित कर रहा है।