सुप्रीम कोर्ट ने कहा-लगता है बिहार में कानून का नहीं, पुलिस का राज, बिहार सरकार को लगी फटकार
राकेश कुमार
जुलाई 12, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि बिहार में कानून का नहीं, पुलिस का राज चल रहा है। एक ट्रक ड्राइवर को अवैध तरीके से 35 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखे जाने के मामले में ट्रक ड्राइवर को 5 लाख मुआवजा देने के पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां किसी गरीब के अधिकारों के उल्लंघन के मामले में मुआवजे का सवाल है तो वह अमीर व रसूखदार शख्स के बराबर होगा। बिहार सरकार की दलील गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका खारिज कर दी और कहा कि पटना हाईकोर्ट ने बिल्कुल सही फैसला सुनाया है।
दरअसल मामला एक मिल्क टैंकर के ड्राइवर को अवैध तरीके से 35 दिनों तक हिरासत में रखने का था। पटना हाईकोर्ट को ईमेल से शिकायत मिली थी जिस पर कोर्ट ने सुनवाई की थी। कोर्ट को बताया गया था कि सारण जिले की परसा थाना पुलिस ने मिल्क टैंकर के ड्राइवर जितेंद्र कुमार उर्फ संजय कुमार को 29 अप्रैल को गिरफ्तार किया, लेकिन उसके खिलाफ प्राथमिकी 3 जून को दर्ज की गयी। यानी गिरफ्तारी के 35 दिन बाद। हाईकोर्ट ने इसे हैरान कर देने वाला मामला बताया था।
सरकार की दलील थी कि एक ड्राइवर के लिए पांच लाख मुआवजा तय करना ज्यादा है
जज ने कहा कि राज्य सरकार की दलील है कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया था लेकिन वह अपनी मर्जी से थाने में एंजॉय कर रहा था; आप सोच रहे हैं कि आपकी इस दलील पर कोर्ट विश्वास कर लें। आप देखिए आपके डीआईजी ने क्या कहा है। डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। समय पर बयान नहीं हुआ और बिना कारण के वाहन और उसके ड्राइवर को अवैध तरीके से डिटेन किया गया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने तल्ख टिप्पणी की कि लगता है कि बिहार में पुलिस राज है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी।