राम राज्य की परिकल्पना निषाद राज के सम्मान के बिना सम्भव नहीं : मुकेश निषाद

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 6 अप्रैल ::

अनगिनत लोगों के आराध्य देव प्रभु श्रीराम सखा भगवान निषाद राज गुहा की जयंती समारोह का राज्य स्तरीय आयोजन वृहस्पतिवार को पटना के सम्राट कन्वेंशन हॉल (बापू सभागार) में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया, जिसमें मुख्यरूप से प्रेम कुमार चौधरी (पूर्व प्रत्याशी लोकसभा बाल्मीकि नगर), मुकेश निषाद (अध्यक्ष- निषाद सेना)डॉ सुरेंद्र साहनी,राम प्रवेश साहनी, अशोक चौहान, गौतम बिंद, और हरेराम महतो आदि लोगों ने निषाद समाज की एकजुटता और सम्मान के लिए आवाज बुलंद किए। साथ ही एक नई पार्टी का गठन किया गया, जिसका नाम “विकासशील स्वराज पार्टी” है।

इस अवसर पर पूर्व प्रत्याशी और नव घोषित पार्टी के नेता लोकसभा वाल्मीकीनगर प्रेम कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे आराध्य देव निषाद राज गुह्य को त्रेता युग में जो सम्मान व गौरव प्राप्त था, आज उसी सम्मान और गौरव प्राप्त करने हेतु संघर्ष की आवश्यकता हैं। समाज को आत्मसम्मान की सुरक्षा तभी मिलेगी, जब हम अपने आराध्य देव निषाद राज गुहा को पुनः कलयुग में सम्मानित होते देखेंगे। उन्होंने कहा कि उचित सम्मान और समाज का गौरव दिलाने हेतु अंतिम क्षण तक हम संघर्ष करेगें। हमें अपना गौरवशाली इतिहास पर नाज हैं, उनकी प्रेरणा और सामाजिक एकता से ही हमें सम्मान-प्रतिष्ठा मिलेगी। सिर्फ राम रहीम से देश का कल्याण नहीं होने वाला, श्री राम के सखा निषाद को भी लाना होगा।

वहीं, निषाद सेना के अध्यक्ष सह नव गठित पार्टी के प्रमुख नेता मुकेश निषाद ने कहा कि हमारे अराध्य देव भगवान निषाद राज गुहा भगवान श्री राम से बड़े थे। लेकिन बाल सखा होने के कारण दोनों के बीच प्रेम भाव ऐसा था कि दोनों एक दूसरे को सम्मान करते थे। एक ही गुरुकुल महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में रहकर भगवान श्री राम और हमारे अराध्य निषाद राज गुहा ने शिक्षा और संस्कार प्राप्त की। प्रभु श्री राम, उन्हे परम मित्र कहा करते थे। श्री राम के सखा होने के कारण त्रेता युग के सम्पूर्ण समाज में निषाद समाज की विशेष प्रतिष्ठा थी । यही करण हैं की निषाद राज गुहा राम राज्य और रामायण के खास पात्र रहे। जिसके बारे में विस्तार से वर्णन रामायण अयोध्या कांड में किया गया हैं।

समारोह को संबोधित करते हुए अशोक चौहान ने कहा बताया कि अपने राज्यभिषेक के कुछ वर्ष बाद भगवान श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था, जिसमें उन्होंने चारों दिशाओं के राजाओं को आमंत्रित किया था। इसमें उन्होंने अपने प्रिय मित्र बाल सखा निषाद राज गुह्य को भी आमंत्रित किया था। भगवान श्रीराम वह सब करते रहे हैं, जैसे निषाद राज कल्पना करते थे। उनके श्रम और भक्ति का पूरा मान-सम्मान देते रहे, और निषाद राज रामराज्य के प्रथम नागरिक बन जाते हैं। जब 14 वर्ष के वनवास के लिए भगवान श्रीराम निषाद राज गुहा के राज्य में पहुंचते हैं तो, उनका भव्य स्वागत होता हैं।

इस अवसर पर डॉ उमाशंकर साहनी ने कहा कि गंगा पार कर प्रयागराज पहुंचाने में निषाद राज ने प्रभु श्री राम की मदद की थी। पुनः चित्रकुट जाने के क्रम में यमुना पार करने के लिए निषाद राज ने बांस की एक नाव बनाकर श्रीराम को सहयोग कर मित्रता की मिशाल कायम की थी। इतना ही नहीं भगवान श्रीराम पर आने वाले किसी संकट से जूझने को निषाद राज गुह्य हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने प्रभु श्री राम को अपना आराध्य माना और अपना जीवन एवं अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर दिया। एक समय वनवास के क्रम में प्रभु श्री राम पर खतरा की शंका मात्र से हमारे आराध्य देव निषाद राज गुहा अपने समाज और सेना को तैयार कर प्रभु श्री राम को सुरक्षा में मर मिटने को तैयार हो गए थे, और अयोध्या को सेना के सामने डट गए थे।वन में अपने भाई से मिलने जा रहे, अयोध्या सम्राट भरत की सेना को देख उन्हें संदेह हो गया था, की उनके प्रभु राम के सामने सुरक्षा का संकट हैं।

अपने भाषण में जोर देते हुए श्री हरेराम महतो ने कहा के देश के राजनीति को एक दिशा में चला कर देश और समाज का विकास नहीं किया जा सकता इसके लिए सभी का सम्मान और समता जरूरी है। पूर्व काल से ही निषाद एवं तमाम वंचित समाज के साथ राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव होते आया है इसे किसी भी स्थिति में मिटानी होगी तब जाकर एक समरस और सुंदर समाज का निर्माण होगा। जब तक सभी को उसका हक और अधिकार प्राप्त नहीं होगा तब तक उसे न्याय नहीं कहा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय का यह मतलब नहीं कि किसी एक दो या कुछ जातियों का उत्थान हो और दूसरे की हिस्से को अतिक्रमण करके अपने हिस्से में डाल लिया जाए, सामाजिक न्याय का मतलब यह होता है की जिनकी जिस तरह की संख्या है उस तरह की भागीदारी तय होनी चाहिए। हमारी नवगठित राजनीतिक पार्टी पूरी तरह से पारदर्शिता एवं न्याय के साथ सबकी भागीदारी सुनिश्चित करेंगी।

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