विश्व ह्दय दिवस के अवसर पर आयुष्मान भारत संस्था द्वारा IMA के सहयोग से International Conference On Heart का हुआ आयोजन
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना )(नई दिल्ली), 30 अगस्त ::
विश्व ह्दय दिवस के अवसर पर आयुष्मान भारत संस्था द्वारा IMA के सहयोग से ICH – 2021( International Conference On Heart) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में IMA के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से समाज के लोगों में हृदय रोग को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और ह्दय रोग पर नियंत्रण एवं छुटकारा पाने में मदद मिलेगी I
उक्त अवसर पर आयुष्मान भारत संस्था के अध्यक्ष डॉ. विपिन कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक 10 सेकंड में एक व्यक्ति को हृदयाघात होता है प्रत्येक दिन चालीस वर्ष से नीचे के 900 युवाओं की मौत हृदयाघात के कारण हुआ है, ऐसे भी हो रही मौत में से 60 % मौत हृदय रोग के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हो रहा हैI देश के भविष्य के चिंतन का विषय है और इसी को ध्यान में रखते हुए आयुष्मान भारत कॉन्फ़्रेन्स, सेमिनार एवं कार्यशालाओं के माध्यम से आम लोगों में ह्दय रोग को लेकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है I इस कड़ी में वर्ल्ड हार्ट डे की पूर्व संध्या पर ICH -2021 का आयोजन किया गया है I उन्होंने कहा कि हृदय रोग होने के कई कारण हो सकते हैं, चाहे वह तनाव हो, गलत जीवनशैली हो या गलत खानपान।
उक्त अवसर पर देश की ख्याति प्राप्त चिकित्सकों ने कार्यक्रम में भाग लियाI सूत्रों के अनुसार सम्मेलन की विशेषता यह रही कि देश के जाने-माने डॉक्टरों के साथ-साथ मूलचंद अस्पताल के डॉ. एस.के. चोपड़ा, गंगाराम अस्पताल के डॉ. एस.सी. मनचंदा, बत्रा अस्पताल के डॉ नवजीत तालुकदार, नारायणा अस्पताल गुड़गांव के डॉ विवेक चतुर्वेदी, कैलाश हॉस्पिटल के डॉ संतोष कुमार अग्रवाल, सर गंगा राम अस्पताल के डॉ कविता त्यागी, अग्रसेन इंटरनेशनल अस्पताल के डॉ अंशुल कुमार जैन, मैक्स अस्पताल के डॉ अनूपम गोयल, नोएडा से डॉ निशांत शेखर ठाकुर, आई.सी. एम.आर की डॉ नीता कुमार एवं भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक – स्वास्थ्य सेवाएँ डॉ. डी. सी. जैन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में प्रख्यात चिकित्सक डॉ एस.के. चोपड़ा ने कहा कि हम जैसा सोचते हैं या जैसा खाते हैं, उसके अनुसार हमारे दिल का स्वरूप बनता हैI हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हमें धूम्रपान से बचना चाहिए, हम स्वस्थ जीवन शैली और तनाव से बचकर हृदय रोग से बच सकते हैं। उन्होंने आहार पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि फल खाना चाहिए, फल खाना दिल को स्वस्थ रखने में बहुत प्रभावी है, पेट की चर्बी पर बोलते वक्त, उन्होंने कहा कि पेट जितना बड़ा होगा, हृदय रोग का खतरा उतना ही अधिक होगा।
डॉक्टर एस. सी. मनचंदा ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली, शारीरिक व्यायाम, योग और ध्यान, हृदय रोग को स्वस्थ रखने में मैं बहुत प्रभावशाली है, इन चीजों को अपना कर इंसान न केवल हृदय रोग से मुक्त हो सकता है अपितु लंबी आयु भी प्राप्त कर सकता है I आहार में नट्स को अपनाने पर विशेष ज़ोर दिया, नट्स में ओमेगा 3 पाया जाता है। ओमेगा 3 की कमी से हृदय रोग का भी खतरा होता है, साथ ही उन्होंने कहा कि मैदा की जगह आटा , चावल की जगह ब्राउन राइस और रिफाइंड तेल की जगह शुद्ध तेल बहुत फायदेमंद है I
भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक डॉ. देसी जैन ने कहा कि जैसा खाए अन्न-वैसा हो मन I हम जो खाना खाते हैं, उसी के अनुसार हमारा मन काम करता है, जैसे हम जूस, फल, दही आदि लेते हैं, तब हम तनावमुक्त महसूस करते हैं और जब हम कॉफी, चाय या धूम्रपान करते हैं तो हमारा शरीर अत्यधिक उत्तेजित हो जाता है, खाने का असर हमारे दिमाग पर पड़ता है, उन्होंने कहा कि रोजाना एक या दो अखरोट आहार में लेना चाहिए, इसका मस्तिष्क पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि गांव के लोगों में हृदय रोग बहुत कम होता है क्योंकि वे अधिक चलते हैं, घूमते हैं, शहरों में लोग संसाधनों की प्रचुरता के कारण बहुत कम चलते हैं जिसके कारण हृदय रोग से पीड़ित होते हैI
उक्त अवसर पर सर गंगा राम अस्पताल की डॉ. कविता त्यागी ने कहा कि 90% हृदय रोग धमनियों में ब्लॉकेज के कारण होते हैं और 10% हृदय रोग अनुवांशिक कारणों, तनाव या दूषित पर्यावरण के कारण होता है। सही आहार लेने से हृदय रोग से बचा जा सकता है I हृदय रोग से बचाव के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराना बहुत जरूरी हैI कम उम्र के लोगों में हृदय रोग की शुरुआत का लक्षण बिना तकनीकी जांच के इस बात से पता लगाया जा सकता है कि माता-पिता या भाई-बहनों एवं सगे सम्बंधियों में से किसी को दिल की बीमारी हैं I लोगों को हृदय रोग की सही जानकारी देना दिल को रोकने का एक बेहतर तरीका हो सकता है, उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक बनाकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि दिल का दौरा और ऐँजायना में क्या अंतर है, अगर सही तरह से जानकारी मिल जाए तो आप हृदय रोग से दूर रह सकते हैं।
कार्यक्रम में नोएडा के डॉक्टर निशांत शेखर ठाकुर ने कहा कि धूम्रपान और शराब को छोड़ कर दिल की बीमारी से बचा जा सकता है, साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग शराब का सेवन करते हैं या तो छोड़ दें या बहुत हल्की मात्रा में लें . खाने में हाई फाइबर डाइट, पीनट्स लें और हरी सब्ज़ियों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, साथ ही दिल की बीमारी से बचाने में स्वस्थ जीवन शैली बहुत असरदार होता है।
आईसीएमआर की डॉ नीता ने कहा कि आई सी एम आर के अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि जिन मरीजों का कोरोना के लिए एलोपैथिक दवा से इलाज किया गया, उनमें दिल की बीमारी का खतरा उन लोगों की तुलना में काफी अधिक था, जिन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से इलाज कराया । डॉक्टर अंशुल ने भी इस विषय में सहमति जताते हुए कहा कि कोरोना चिकित्सा के दौरान एलोपैथी दवा का प्रयोग से हृदय रोग हो सकता है, लेकिन ऐसा कोई प्रमाण प्रकाश में नहीं आया हैI
डॉ विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि मैंने बहुत पहले कहा था कि दिल और दिमाग एक दूसरे के पूरक हैं और एक कारण से दूसरे का प्रभावित होना लाजमी है। डॉ विवेक चतुर्वेदी और डॉ नवजीत तालुकदार दोनों ने दर्शकों को बताया कि आज की तारीख में एंजीयोपलस्टी अच्छे डॉक्टरों द्वारा किया जाता है तो 95% सुरक्षित है, मरीज इससे लंबी उम्र पा सकते हैं।
कैलाश अस्पताल नोएडा के डॉक्टर संतोष कुमार अग्रवाल ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में हृदय रोगियों की संख्या काफी बढ़ रही है और आज अधिक लोग गलत जीवनशैली, खान-पान और तनाव से पीड़ित हैं।
अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल के डॉ अंशुल जैन ने हृदय रोग से बचने के लिए चिकित्सीय पक्षों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि अगर समय पर एंजियोप्लास्टी किया जाए तो मरीजों को बचाया जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि कार्बोहाइड्रेट डायट की अधिकता से हृदय रोग, रक्तचाप और कैंसर जैसे रोगों कि संभावना बढ़ जाती है। भारत सरकार और राज्य सरकार के हर अस्पताल में फ्राइबिलेटर निश्चित रूप से होना चाहिए।ऊन्होंने इसके इस्तेमाल की पद्धति और प्रशिक्षण देने की ज़रूरत पर बल दिया I कांफ्रेंस में उपस्थित सारे चिकित्सकों ने इस बात पर आम सहमति जतायी कि उचित खानपान, नियमित रूप से शारीरिक अभ्यास और तनावमुक्त जीवनशैली से इंसान बहुत हद तक हृदय रोग से छुटकारा पा सकता हैI कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन डॉ. एस.एस. भट्टाचार्य ने की, हज़ारों लोगों ने कार्यक्रम से जुड़कर लाभ उठाया I