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Friday, March 28, 2025
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भारतीय संस्कृति दुनियाँ में अद्वितीय

भारतीय संस्कृति दुनियाँ में अद्वितीय : राजीव रंजन प्रसाद

कला और संस्कृति के संरक्षण तथा विकास में जीकेसी की अहम भूमिका : डा. नम्रता आनंद

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 06 अगस्त :: जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) के सौजन्य से 18-19 दिसंबर को देश की राजधानी नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘उम्‍मीदों का कारवां’ कार्यक्रम की समीक्षा बैठक हुई।

बैठक में जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद की अध्यक्षता में ‘उम्‍मीदों का कारवां’ कार्यक्रम में कला- संस्कृति प्रकोष्ठ की तैयारी पर विस्तार से चर्चा की गयी। कला- संस्कृति प्रकोष्ठ की ओर से होने वाले कार्यक्रमों में बिहार की भागीदारी और कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया।

उक्त अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विश्व कायस्थ महासम्मेलन की तैयारी के लिए रोडमैप तैयार है और सभी राज्यों को विशेष रुप से तैयारी करने का निर्देश दिया गया है। भारतीय कला-संस्कृति अन्य देशों से भिन्न और अनूठी है। भारतीय संगीत- गाने, नृत्य शैली, रंगमंच, लोक पंरपराएं, प्रदर्शन कला, चित्रकला, लेखन के लिए पूरे विश्व में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत इत्यादि शामिल है।

उन्होंने कहा कि विश्व में समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की अपनी विशिष्ट पहचान है। भारतवासी अपने देश की सम्पन्न प्राचीन संस्कृति और इतिहास पर गौरवान्वित महसूस करते है। भारतीय संस्कृति दुनिया में तो अद्वितीय है ही, लेकिन बिहार भारत की अतुल्य सांस्कृतिक पहचान की हृदय स्थली है, इसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अतुल्यनीय है। बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक झलक नयी दिल्ली में होने वाले कार्यक्रमों में देखने को मिलेगी।

उक्त अवसर पर जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी संस्कृति में निहित होता है। हमारे देश की भी पहचान उसकी विविध कला- संस्कृति से है। जीकेसी का कला-संस्कृति प्रकोष्ठ ने कला और संस्कृति के संरक्षण तथा विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है। भारत देश कला, संस्कृति, सभ्यता एवं परंपरा का वाहक है और बिहार इसका घोतक, जिसका स्वरूप विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर देखने को मिलता है। उम्मीदों का कारंवा में बिहार की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।

डा. नम्रता आनंद ने कहा कि बिहार जीकेसी कला, संस्कृति प्रकोष्ठ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढियों के लिए संरक्षित करने और पूरे देश में एक मजबूत सांस्कृतिक जीवंतता बनाने के लिए तत्पर एवं कार्यरत है।

जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव एवं उम्मीदों का कारंवा के लिये बनायी गयी समिति प्रमुख श्वेता सुमन ने बताया कि इस कार्यक्रम में जीकेसी परिवार समय-सीमा के अंदर, ज्यादा से ज्यादा कलाकार अपना प्रदर्शन देंगे। कार्यक्रम में सामाजिक उत्थान के लिए संकल्पित गंभीर विषयों की अभिव्यक्ति पेश की जायेगी, जिसका उद्देश्य कला संस्कृति के माध्यम से सामाजिक चेतना के लिए एक प्रयास होगा। कार्यक्रम के दूसरे चरण में सभी राज्य के सभी संस्कृतियों का प्रदर्शन, अनेकता में एकता, जिसमे भारत की संस्कृतियाँ समाहित होंगी। तीसरे चरण में जीकेसी परिवार के द्दारा सिनेमा जगत की हस्तियों का प्रदर्शन होगा, जिसमें युवा पीढ़ी को अपने गीतो से मार्गदर्शित करेंगे, इस प्रकार आयोजन में सभी रंग समाहित होंगे।

उन्होंने बताया कि 18 दिसंबर को होने वाले गाला नाईट में सांस्कृतिक समा बंधेगा, गीत, गजल, नृत्य, वादन सभी विधाओं का प्रदर्शन होगा। इस कार्यक्रम में देशभर के कलाकार भाग लेंगे, जिसके लिये देशभर में तैयारियाँ चल रही है।

उक्त अवसर पर कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संरक्षक विनय कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय संयोजक दीप श्रेष्ठ, कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिणी स्वरूप, कुमार संभव, राष्ट्रीय सचिव अनुराग समरूप, राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शिवानी गौड़, संपन्नता वरूण, निहारिका कृष्णा अखौरी, दिवाकर कुमार वर्मा, श्रेया भारती, प्रवीण बादल, सुबोध नंदन सिन्हा, यतीश सिन्हा और आयुष सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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