कायस्थ समाज का भारत के 5000 सालों के इतिहास में अतुलनीय योगदान : राजीव रंजन प्रसाद
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 07 सितम्बर ::
जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि कायस्थ समाज राजनीतिक अस्पृश्यता का शिकार है। कायस्थ राजनीतिक रूप से अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ गए हैं। राजनीति में कमजोर होने के कारण कायस्थ समाज प्रशासन सहित अन्य क्षेत्रों में पिछड़ता चला जा रहा है। समाज के सभी क्षेत्रों में कायस्थ समाज की जो धमकदार उपस्थिति थी। अब वर्तमान परिदृश्य में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। सभी को यह स्वीकार करना होगा कि राजनीति असमानता का सबसे बड़ा शिकार कायस्थ समाज ही हुआ है। जबकि कायस्थ समाज का भारत के 5000 सालों के इतिहास में अतुलनीय योगदान रहा है। चाहे प्राचीन भारत हो, मध्यकालीन भारत हो या फिर आधुनिक भारत के नवनिर्माण में कायस्थों की बड़ी भूमिका रही है।
महाराजा प्रतापादित्य, महाराजा ललितादित्य, पुलकेशिन द्वितीय, गौतमीपुत्र सातकर्णि ,महाराजा कृष्णदेव राय, चोल, चालुक्य, पाल एवं सेन वंशों सहित अनेक प्रतापी कायस्थ राजाओं के शौर्य और पराक्रम की गूंज आज देश सहित दुनिया के अनेक मुल्कों में भी सुनी जा सकती है। इन प्रतापी राजाओं ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भगवान चित्रगुप्त के वंशज यदि कलम चला सकते हैं तो तलवार भी चला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन में भी कायस्थ समाज ने आगे बढ़कर देश को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चितरंजन दास, लाल बहादुर शास्त्री, रासबिहारी बोस, सूर्यसेन ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया। खुदीराम बोस, बटुकेश्वर दत्त, जगतपति कुमार, कनकलता बरुआ समेत अनेक कायस्थ क्रांतिकारियों ने अल्पायु में ही स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
ग्लोबल अध्यक्ष ने कहा कि संविधान निर्माण से लेकर आधुनिक भारत के नवनिर्माण में हमारे महापुरुषों का योगदान अविस्मरणीय है। यह अलग बात है कि इस समाज के इतिहास के साथ इतिहासकारों ने दोयम दर्जे का व्यवहार किया है। जेपी आंदोलन की गर्भ से निकले राजनेता आज देश के कई प्रांतों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं फिर भी कायस्थ समाज के साथ उनकी बेरुखी अचंभित करती है।
राजीव रंजन प्रसाद ने कायस्थ समाज को कहा कि अगर अब नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी। अब समाज को राजनीतिक दलों का पिछलग्गू बनने के बजाय एकजुट होकर एक ऐसी आवाज बनना चाहिए जिसे कोई अनसुना ना कर सके। उन्होंने समाज से कहा कि आइये 19 दिसंबर 2021 को तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली में। वहाँ आयोजित विश्व कायस्थ महासम्मेलन को मिलकर सफल बनाकर तंत्र की कुम्भकर्णी निद्रा को तोड़ने में सहभागी बने।