तेजस्वी यादव को हजम नहीं कर पा रहे हैं बिहार के कांग्रेसी

(Sultanganj ) बिहार में महागठबंधन की एकजुटता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. कई ऐसे मौके आए हैं जब यह देखा गया कि महागठबंधन के सभी घटक दल एकजुट नहीं हैं. दरअसल बिहार कांग्रेस में नेताओँ के बारे मे कहा . जाता है कि वे लालू यादव और राजद . से छुटकारा पाना चाहते है लेकिन पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के दवाव अथवा नीतिगत निर्णय के कारण राजद के आगे घुटने टेकने के लिए विवश है। चुनाव सम्पन्न होने के वाद तो काग्रेस के नेतागण राजद और महागठबन्धन के नेता तेजस्वी यादव को हजम करने मे उन्हें भारी कठिनाई हो रही है। इसका एक प्रमुख कारण कांग्रेस पार्टी सवर्ण और दवंग जतियों से आने वाले नेताओं का विहार काग्रेस पर कब्जा है।
बिहार चुनाव में आपसी सामंजस्य स्थापित करने की हो या टिकट बंटवारे की, चुनाव प्रचार की हो या आज पूरे देश में चल रहे नए कृषि कानून पर किसान आंदोलन की. हर मौके पर महागठबंधन में दरार साफ दिखाई पड़ी है. किसान आंदोलन में अभी तक गायब रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तो एनडीए के लोग सवाल उठा ही रहे हैं कि अब महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने इशारों ही इशारों में आरजेडी और तेजस्वी यादव से सवाल पूछ दिया है.

दरअसल कांग्रेस पार्टी के Bihar youth congress Ex president Lalan kumar & 157 Sultqnganj Mahagathban. Congress Candidate विधानसभा अपने बयान में यह कहा कि बिहार में किसानों के नाम पर जो आंदोलन हो रहा है, वह अभी तक सिर्फ दिखावे जैसा ही है. हमें फिजिकली और डेमोस्टिवली हर जगह नजर आना होगा. अब टेकिनिज्म नहीं चलेगा. यदि महागठबंधन के नेता सही मायनों में आंदोलन करना चाहते हैं, तो बैठकर एक ठोस रणनीति बनानी होगी और सभी बड़े नेताओं को फिजिकली इस आंदोलन का हिस्सा बनना होगा. वक्त अब दिखावे का नहीं है

कांग्रेस के आरोपों को राजद ने सिरे से खारिज कर दिया है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि किसानों की लड़ाई में राजद मजबूती से खड़ा है. सहयोगी दल के किसी एक नेता ने यदि कोई आरोप लगाया है तो यह बेबुनियाद है. बिहार बंद के दौरान भी महागठबंधन की एकजुटता साफ दिखाई पड़ी. महागठबंधन के सभी घटक दलों के प्रदेश अध्यक्ष भारत बंद में मजबूती से शामिल हुए. बड़ी पार्टी होने के नाते राजद अपने सभी सहयोगी दलों से मंथन करके ही फैसला लेता है. यह कोई जरूरी नहीं कि हर कार्यक्रम में तेजस्वी यादव मौजूद हों. वैसे भी किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु दिल्ली में है और तेजस्वी यादव भी दिल्ली में रहकर आंदोलन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं, लेकिन लोगों को यह नहीं दिख रहा है. लोग सिर्फ यह दिखाने में लगे हैं कि तेजस्वी बिहार से बाहर हैं और आंदोलन में जमीन छोड़ टेबल पर बैठते हैं.*

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