चालीसा में 24 तत्व और 16 संस्कार शामिल है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना ::

सभी देवी-देवताओं की प्रमुख स्तुतियों में सम्भवतः चालिस दोहे होते हैं। विद्वानों के मतानुसार चालीसा यानि चालीस, हमारे देवी-देवताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही सम्मिलित किया गया है। जैसे हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि।

हिन्दू धर्म में चालीसा का बड़ा ही महत्व है। चालीसा एक ऐसी कृति है, जो देवी-देवताओं के माध्यम से व्यक्ति को उसके अंदर विद्यमान गुणों का बोध कराती है। इसके पाठ और मनन करने से बल बुद्धि जागृत होती है,
व्यक्ति खुद अपनी शक्ति, भक्ति और कर्तव्यों का आंकलन कर सकता है।

चालीस चौपाइयां हमारे जीवन की संपूर्णता का प्रतीक होता हैं, इसलिए इनकी संख्या चालीस निर्धारित की गई है, क्योंकि मनुष्य का जीवन 24 तत्वों से निर्मित है और संपूर्ण जीवन काल में इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं। इन दोनों का योग 40 होता है।

24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रिय, 5 कर्मेंद्रिय, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अन्तःकरण शामिल होता है, जबकि 16 संस्कारों में गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमन्तोन्नयन संस्कार, जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकर्म संस्कार, विद्यारम्भ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारम्भ संस्कार, केशान्त संस्कार, समावर्तन संस्कार, पाणिग्रहण संस्कार, अन्त्येष्टि संस्कार शामिल होता है।

भगवान की स्तुतियों में, हम उनसे तत्वों और संस्कारों का बखान करते हैं, और उसके साथ ही चालीसा स्तुति से जीवन में हुए दोषों की क्षमा याचना भी करते हैं। इन चालीसा चौपाइयों में सोलह संस्कार एवं 24 तत्वों का समावेश है। जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति हुई है।
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