28.4 C
Patna
Friday, March 28, 2025
spot_img

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान से सम्मानित हुए 15 शिक्षक

डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान से सम्मानित हुए 15 शिक्षक

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 05 सितम्बर ::

पद्मश्री विमल जैन ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान से 15 शिक्षकों को किया सम्मानित। उक्त सम्मान समारोह 05 सितम्बर (रविवार) को “शिक्षक दिवस”के अवसर पर पटना के कदमकुंआ स्थित होटल कामधेनु में दीदी जी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।

सामाजिक संस्था दीदीजी फाउंडेशन ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 15 शिक्षकों को डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया। अंतर्राष्ट्रीय- राष्ट्रीय और राजकीय सम्मान से अंलकृत दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका और जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने यहां बताया कि शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते है। डा. राधाकृष्णन के उच्च गुणों को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि सम्मानित होने वाले शिक्षकों में प्रो. (डा.) अनूप कुमार सिंह, प्रो. सुमन कुमार, प्रो. (डा.) मोहम्मद नाजीम, प्रो. (डा.) राजेश रंजन, प्रो. (डा.) नवीन चंद्र सिन्हा, प्रो. (डा.) संतोष कुमार, प्रो. (डा.) राजीव रंजन, प्रो. डा.धनेश्वर प्रसाद सिंह, प्रो. डा. मनोज कुमार सिन्हा, भोला पासवान, आनंद कुमार झा, विश्वनाथ प्रसाद सिन्हा, कृष्णनंदन प्रसाद, सुधीर कुमार सिंह और दिवाकर वर्मा शामिल थे।

उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि पद्मश्री विमल जैन, जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, ,दीदी जी फाउंडेशन के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा, कदम के अध्यक्ष सबीउद्दीन अहमद, जीकेसी मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार, कदम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र यादव, आशुतोष ब्रजेश, अध्यक्ष आईटी एवं सोशल मीडिया बिहार
समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

उक्त अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि शिक्षक के बिना जीवन में सफलता की कल्पना करना असंभव है। उन्होंने कहा कि डा. राधाकृष्णन का जीवन हमें उच्च गुणों को आत्मसात कर एक आदर्श शिक्षक बनने की प्रेरणा देता है। छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व को आकार देने और भविष्य को उज्ज्वल बनाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे उन्हें देश का एक आदर्श नागरिक बनाते है। शिक्षकों को हमेशा सम्मान और प्रेम देना चाहिए क्योंकि शिक्षक हमें सफलता के रास्ते पर भेजने की कोशिश करते हैं।शिक्षक के बिना जीवन में सफलता की कल्पना करना असंभव है। भारतीय परम्परा के अनुसार, “एक शिक्षक वो जलता हुआ दीपक है, जो खुद जलकर दूसरों की जिंदगियों में उजाला भर देता है।हमें हमेशा शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए।

कार्यक्रम की शुरूआत डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यापर्ण कर की गयी, इसके बाद दीप प्रज्जवलन किया गया। इसके बाद आगंतुक अतिथियों को फूल बुके, मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में पद्मश्री विमल जैन ने कहा कि शिक्षक ज्ञान का महासागर है। बच्चो के भविष्य को सवारने में शिक्षक का योगदान अतुलनीय है। शिक्षक के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है। शिक्षक अपना सारा जीवन में बच्चो के विकास में समर्पित कर देते है। शिक्षक ज्ञान का वह प्रकाश है जो अंधकार की राह को चीरकर ज्ञान की रोशनी भर देती है।किसी भी छात्र के जीवन को सफल बनाने में शिक्षक बहुत ही अहम किरदार निभाता है। शिक्षक अपने छात्र को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें देश का अच्छा नागरिक बनाता है।

कार्यक्रम का संचालन अजय अम्बष्ठा ने किया। युवराज सरगम सीनू सरगम और कल्याणी सरगम ने गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम का आगाज किया गया।

उक्त अवसर पर डा. नम्रता आनंद ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के अमूल्य 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में इस देश के भविष्य को संवारने में दिये थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक वह प्रकाश है जो सभी के जिन्दगी में रोशनी भर देता है। शिक्षक अपनी शिक्षा के जरिये व्यक्ति ,समाज और राष्ट्र का निर्माण करता है। शिक्षा वह मजबूत ताकत है जिससे हम समाज को सकारात्मक बदलाव की ओर ले जा सकते है। शिक्षक विद्यार्थिओं को आने वाले बेहतर भविष्य के लिए तैयार करते है। शिक्षक हमारे मार्गदर्शक और हमारे व्यक्तित्व के निर्माता होते हैं। वे जलते हुए दीपक की तरह स्वयं जलकर, हमारी जिंदगियों में उजाला भरते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत अधिक महत्व है। ‘गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। मतलब अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है, जो कि निम्न श्लोक से स्पष्ट हो जाता है।”गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: ।गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः”वे हमें एक अच्छा इंसान, समाज का बेहतर सदस्य और देश का एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करते हैं। शिक्षक दिवस को हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों, कठिनाइयों और विशेष भूमिका को स्वीकार करने के लिए मनाया जाता है।

अनिल कुमार वर्मा ने कहा देश एवं राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक को समाज के शिल्पकार की संज्ञा भी दी जाती है। भारतीय संस्कृति में केवल शिक्षक को ही माता-पिता तुल्य माना गया है। शिक्षक या गुरु का समाज में बहुत ही आदरणीय एवं सम्माननीय स्थान है। गुरु को ईश्वर जैसा दर्जा दिया गया है। संत कबीर दास जी ने गुरू की गुरूता का वर्णन करते हुए लिखा है, गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

error: Content is protected !!