नहाय खाय के साथ शुरु हुआ 32 घंटे की निर्जला जीवित्पुत्रिका ( जितिया) पर्व

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 09 सितम्बर :: आज नहाय खाय के साथ बेटे की दीर्घायु के लिए तीन दिवसीय जितिया पर्व शुरू हुआ। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को मनाये जाने वाले पर्व को महिलाएं पूरी आस्था के साथ आज सप्तमी को नहाय खाय के बाद रात 10 बजे से निर्जला व्रत रखेंगी और
नवमी यानी शुक्रवार को सूर्य उदय के बाद पारण के साथ व्रत संपन्न करेंगी। यह पर्व इस बार 32 घँटे की होगी।

पुत्र के दीर्घ,आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए महिलाएं यह कष्टमय व्रत करती है। खास बात यह है कि छठ पर्व की तरह जितिया व्रत में भी नहाय खाय की परंपरा है।

जितिया के बारे में कहा गया है कि महाभारत के युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत दु:खी थे। सीने में बदले की भावना लिए पांडवों के शिविर में घुस गये। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर कर मार डाला, जो द्रौपदी की पांचों संतानें थी। इसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला इसके बाद भगवान कृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अजन्मी संतान को पुनःजीवित कर दिया। भगवान श्री कृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए जितिया व्रत रखने की परंपरा चलते आ रही है।

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