सतीश गणेश होंगे वाराणसी के पुलिस कमिश्नर
सुरेश गांधी
आइपीएस एसके भगत को मिली वाराणसी में आईजी रेंज के पद पर तैनाती
एसएसपी अमित पाठक का तबादला गाजियाबाद
अखिलेश कुमार मीणा व अनिल सिंह को वाराणसी में मिली तैनाती
सुरेश गांधी
वाराणसी। ए. सतीश गणेश वाराणसी के पहले पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं। जबकि एसएसपी अमित पाठक का तबादला गाजियाबाद के लिए कर दिया गया है। इसके अलावा अखिलेश कुमार मीणा व अनिल सिंह को वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट में संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) के पद पर एवं आइपीएस एसके भगत को आईजी रेंज के पद पर तैनात किया गया है। एसके भगत इससे पहले भी वाराणसी में डीआइजी रेंज और आइजी जोन के पद पर काम कर चुके हैं।
वाराणसी कमिश्नरेट के पहले पुलिस कमिश्नर के पद पर शासन ने शुक्रवार की सुबह अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ए. सतीश गणेश की तैनाती की है। 1996 बैच के आइपीएस ए. सतीश गणेश अब तक आगरा में एडीजी जोन के पद पर तैनात थे। वे डीआइजी, एसएसपी वाराणसी के पद पर पूर्व में रह चुके है। कंप्यूटर साइंस से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले ए. सतीश गणेश मूल रूप से बिलासपुर के रहने वाले हैं। इससे पहले वर्ष 2012 में ए. सतीश गणेश वाराणसी में डीआइजी रेंज के पद पर तैनात रह चुके हैं। ए. सतीश गणेश की गिनती उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार, ईमानदार और समय के पाबंद पुलिस अफसरों में की जाती है। अब तक एडीजी, आइजी रेंज वाराणसी के पद पर तैनात रहे आइपीएस विजय सिंह मीना का तबादला एडीजी सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पद पर किया गया है। लखनऊ और नोएडा के बाद गुरुवार की रात शासन ने वाराणसी और कानपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को मंजूरी दी थी। इसी के तहत अब वाराणसी में आइपीएस ए. सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात किया गया है।
बेहतर होगी पुलिस पेट्रोलिंग
पुलिसिंग को और बेहतर बनाने के लिए पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम की मंजूरी एक अच्छी व्यवस्था है। वाराणसी लगभग 40 लाख से ज्यादा की आबादी वाला प्रदेश और देश का एक महत्वपूर्ण जनपद है। पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का सकारात्मक असर आने वाले दिनों में कानून व्यवस्था के साथ ही यातायात व्यवस्था में भी देखने को मिलेगा। इससे आम लोगो को फायदा होगा और सुविधाएं भी अधिक मिलेंगी। शहरी क्षेत्र में यहां कुल 18 थाने है। जबकि देहात में 10 थानें है। महानगर को जोन में बांटकर अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। बता दें, प्रदेश सरकार ने वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को मंजूरी दे दी है। कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए यह प्रदेश सरकार का एक प्रभावी कदम माना जा रहा है। देश में फिलहाल पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का प्रावधान 10 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले शहर के लिए किया गया है। इसके लिए गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति ने वर्ष 2005 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी थी। इससे पहले वर्ष 1983 में प्रकाशित नेशनल पुलिस कमीशन की छठी रिपोर्ट के अनुसार कमिश्नरेट सिस्टम पांच लाख या इससे ज्यादा आबादी वाले शहर में लागू करने का निर्णय लिया गया था। गौरतलब है कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को ब्रिटिश हुकूमत ने पुलिस एक्ट, 1861 के अस्तित्व में आने से पहले ही तत्कालीन बंबई, कलकत्ता और चेन्नई शहर में लागू कर दिया था। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वर्ष 1977-79 में लागू हुआ था।
बनाई जाएगी एक पुलिस कोर्ट
कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 और 107,16 के तहत पाबंद किए जाने के लिए एक पुलिस कोर्ट बनेगी। इसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था संबंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए अदालत में ही सुनवाई होगी। एकीकृत व्यवस्था के बहुत फायदे होते हैं। पुलिस के समय की बचत होगी और उसका लाभ आमजन को मिलेगा। बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर में भी इस सिस्टम के सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे। कानून व्यवस्था से जुड़े ज्यादातर मामलों में स्थिति इसलिए अनियंत्रित हो जाती है क्योंकि पुलिस के पास तत्काल निर्णय लेने के अधिकार नहीं होते हैं। कमिश्नरेट सिस्टम में पुलिस निरोधात्मक कार्रवाई के लिए खुद मजिस्ट्रेट की भूमिका में होगी। निरोधात्मक कार्रवाई का अधिकार पुलिस को मिलेगा तो आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर जल्दी प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी और उनमें कानून का भय व्याप्त होगा। प्रदेश सरकार ने बनारस जैसे महत्वपूर्ण शहर की कानून व्यवस्था के लिए बहुत अच्छा निर्णय लिया है।
खत्म हुआ पुलिस कप्तान का पद, सिर्फ ग्रामीण इलाके में एसपी
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के साथ ही जिले में पुलिस कप्तान का पद खत्म हो जाएगा। वाराणसी कमिश्नरेट में कोतवाली, आदमपुर, रामनगर, भेलूपुर, लंका, मंडुवाडीह, चेतगंज, जैतपुरा, सिगरा, कैंट, शिवपुर, सारनाथ, लालपुर-पांडेयपुर, दशाश्वमेध, चौक, लक्सा, पर्यटक और महिला थाना रहेंगे। इन 18 थानों के मुखिया पुलिस कमिश्नर होंगे। वहीं जिले के ग्रामीण इलाके के रोहनिया, जंसा, लोहता, बड़ागांव, मिर्जामुराद, कपसेठी, चौबेपुर, चोलापुर, फूलपुर और सिंधौरा थाने के मुखिया के तौर पर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधीक्षक तैनात किए जाएंगे। इस तरह से जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था में जिलाधिकारी का दखल पूर्व की भांति यथावत रहेगा।