33 वर्षों में मात्र एक चुनाव हारे थे रामविलास पासवान

 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, 09 अक्टूबर :: बिहार की राजनीति में चार दशक से एक मजबूत स्तम्भ रहे रामविलास पासवान का आसमयिक निधन 08 अक्टूबर को दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल में हो गया। वे देश के दलितों की हित के लिएकरते रहे थे। पासवान देश के उन नेताओं में से थे जिन्होंने ने दलित और हाशिए पर रहे लोगों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। मृदुभाषी होने के कारण सभी के दिल में उनके लिए जगह थी। इसके कारण वे 33 वर्षों में मात्र एक बार चुनाव हारे थे। उन्होंने 1969 में पहलीबार विधायक बने थे और 1977 में विश्व रिकॉर्ड मतों के अंतर से लोक सभा चुनाव जीत कर सांसद बने थे।

रामविलास पासवान 1989 में पहलीबार केंद्रीय श्रम मंत्री बने थे। उसके बाद 1996 में रेलमंत्री, 1999 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री, 2001 में खनिज एवं कोयला मंत्री, 2004 में रसायन एवं उर्वरक मंत्री, 2015 में खाद्य-उपभोक्ता संरक्षण मंत्री तथा 2019 में खाद्य-उपभोक्ता संरक्षण मामलों के मंत्री रहे थे।

लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के संस्थापक थे रामविलास पासवान और बिहार से राज्यसभा के सदस्य थे। बीते दो दशकों में वे केंद्र की हर सरकार में मंत्री रहे थे। पांच दशकों में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे थे। रामविलास पासवान ने खगड़िया के काफी दुरुह इलाके शहरबन्नी से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक का सफर अपने संघर्ष के बल पर तय किया था। राजनीति की नब्ज पर उनकी पकड़ इस कदर रही कि वह देश के छह प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे और राजनीति में हमेशा प्रभावी भूमिका निभाते रहे। इनके राजनीतिक कौशल का ही प्रभाव था कि उन्हें यूपीए में शामिल करने के लिए सोनिया गांधी खुद चलकर उनके आवास पर गई थीं।
रामविलास पासवान का व्यक्तित्व ऐसा था यह कहावत उन पर चरितार्थ होता है कि ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’। राजद के लालू प्रसाद ने उनको ‘मौसम बैज्ञानिक’ का नाम दिया था। रामविलास पासवान खुद भी स्वीकार कर चुके थे कि वह जहां रहते हैं सरकार उन्हीं की बनती है। मतलब राजीतिक मौसम का पुर्वानुमान लगाने में वे माहिर थे। वे समाजवादी पृष्ठभूमि के बड़े नेताओं में से एक थे। देशभर में उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता के रूप में रही थी। रामविलास पासवान 2004 के लोकसभा चुनाव जीते थे लेकिन 2009 में हार गए थे। 2009 में पासवान ने लालू प्रसाद की पार्टी राजद के साथ गठबंधन किया। पूर्व गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को छोड़ दिया। 33 वर्षों में यह उनकी पहली और अंतिम हार थी।

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