जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 18 अप्रैल ::
माफिया अतीक अहमद की निधन एक नाटकीय घटनाक्रम रहा। उत्तर प्रदेश की पुलिस के कड़े चौतरफा घेरेबंदी के बावजूद, मीडिया समूह से निकलकर तीन मीडिया कर्मी ने अतीक और उसके छोटे भाई असरफ की इहलीला कुछ ही सेकंड में समाप्त कर दिया। इहलीला समाप्त करने वाले सन्नी, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या ने गोली चलाने के बाद जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे और नारा लगाते हुए आत्म समर्पण भी कर दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जाँच के लिए न्यायिक आयोग से जांच के आदेश दिए हैं। इसी बीच अतीक और अशरफ की मौत को लगता है कि सांप्रदायिक रंग देने के लिए ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आसादुदीन ओवैसी ने माफिया अतीक को “मुसलिम पूर्व सांसद” संबोधित किया, वहीं राजद के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री ने “अतीक जी” कहकर संबोधित किया, जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री ने इस घटना को दुखद बताया, वहीं त्रिमूल कांग्रेस के नेता और बंगाल की मुख्यमंत्री तो भाजपा और केन्द्र सरकार को कोशने लगी। ऐसी स्थिति में विदेशों में पूर्व एमपी की हत्या का खबर चलाने लगा जबकि मात्र एक देश ने “माफिया से एमपी बने एमपी की हत्या” खबर चलाई है ऐसा भारत के मीडिया में बताया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि माफिया अतीक के खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मुकदमा है। उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि वह अतीक की 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। माफिया अतीक का विषय इतना महत्त्वपूर्ण नहीं माना जा सकता है, लेकिन इससे कानून और संविधान के सरोकार जुड़े हैं।
झाँसी में अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश में और माफिया अतीक एवं उसके भाई असरफ में निश्चित ही डर और गहरा हो गया। अब इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस और राज्य की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। अब प्रश्न उठता है कि इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अतीक और असरफ की हत्या कैसे हुई? विपक्ष का सवाल उठाना अब लाजमी लगता है कि कानून व्यवस्था का क्या मतलब है? जिस तरह पुलिस अभिरक्षा में घूस कर तीन युवकों ने गोली मार कर हत्या कि वह अपने आप में बड़ा प्रश्न है।
माफिया अतीक अहमद के बेटे असद जिसपर पांच लाख रुपए का इनाम था, का उत्तर प्रदेश में एसटीएफ से हुए मुठभेड़ में एनकाउंटर हुआ। असद 24 फरवरी को उमेश पाल के मर्डर के बाद ही फरार थे। एसटीएफ लगातार इन्हें ट्रेस कर रही थी और झांसी में इनकी लोकेशन मिलने पर इनको पकड़ने की कोशिश की गई। इस दौरान अपराधियों ने फायरिंग की और पुलिस मुठभेड़ में यह मारा गया।
माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता प्रवीण अभी भी फरार है और वो अपने बेटे के एनकाउंटर से हुई मौत और पति के हत्या के बाद भी सामने नहीं आई है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पुलिस शाइस्ता को ढूंढ रही है। कहा जाता है कि पति अतीक के गिरफ्तारी के बाद से शाइस्ता ही अतीक की गैंग को संभाल रही है।
विपक्ष का सवाल उठाना लाजमी है कि कानून व्यवस्था का क्या मतलब है? क्योंकि अतीक माफिया भले था लेकिन उसी प्रयागराज से पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुका था। इस घटना के बाद पुलिस को कड़े निर्देश दिए गए हैं। इंटरनेट बंद कर दिया गया है। वहीं पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गयी है। घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन सदस्यीय टीम जिसमें एडीजी जोन प्रयागराज की अध्यक्षता में, प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर और विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ के निदेशक को सदस्य, गठित की है। टीम की जाँच के बाद घटना के समय उपस्थित 17 पुलिस कर्मियों पर करवाई होने की संभावना है।
माफिया असरफ ने 29 मार्च को जेल गेट पर मीडिया से कहा था कि उसे मारने की साजिश हो रही है, इसलिए उसने जेल में पत्र लिखा है जिससे साजिशों का खुलासा होगा। इधर नई चर्चा का विषय बना हुआ है कि माफिया अतीक की हत्या से ठीक पहले कॉल्विन अस्पताल के गेट पर वह कौन था जिसे देखकर अतीक पलभर के लिए ठहर गया, उसे इशारा किया और सिर हिलाया।इसके बाद वह जैसे ही गाड़ी से उतर कर अस्पताल परिसर में पहुँचा तभी हमलावरों ने गोलियाँ बरसा दी।