साल 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण 4 जुलाई को दिखाई देगा. गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला यह उपछाया चंद्र ग्रहण हैं. अंग्रेजी में इसको (Penumbral Lunar Eclipse) कहते हैं. इसे Buck Moon भी कहा जाता है. यह अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के साथ मेल खाता है जो अमेरिकी निवासियों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि वे उन लोगों में से हैं जो इस खगोलीय घटना के गवाह बनेंगे. दुर्भाग्यवश यह चंद्र ग्रहण भारत के लोग सीधे तौर पर नहीं देख पाएंगे.
नासा के अनुसार, 5 जुलाई को 12:44 am पर पूर्ण चंद्रमा दिखेगा और यह अमेरिका की गर्मियों का पहला पूर्ण चंद्रमा होगा. Algonquin जनजाति इस पूर्ण चंद्रमा को Buck Moon कहते थे.
चंद्र ग्रहण की तारीख और समय
वहीं अगर जुलाई में दिखने वाले इस चंद्र ग्रहण के समय और तारीख की बात करें तो चंद्रग्रहण 4 जुलाई को 11:07 pm (5 जुलाई को सुबह 8:37 बजे IST) पर शुरू होगा और 5 जुलाई को 12:29 am (5 जुलाई की सुबह 9:59 बजे IST) पर यह अपने चरम पर होगा. यह 2 घंटे 45 मिनट तक चलेगा. चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को 1:52am पर (5 जुलाई को सुबह 11:22 बजे IST) समाप्त होगा.
कहां-कहां दिखेगा उपछाया चंद्र ग्रहण
दुर्भाग्य से 4-5 जुलाई का यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. हालांकि, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण/पश्चिम यूरोप, अफ्रीका, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका और अटलांटिक के ज्यादातर लोग इस चंद्र ग्रहण को देख पाएंगे.
ऐसे देखा जा सकेगा साल का तीसरा चंद्र ग्रहण
उपछाया चंद्र ग्रहण और इस तरह की अन्य खगोलीय घटनाओं को अक्सर Slooh और वेबसाइट वर्चुअल टेलीस्कोप समेत कई लोकप्रिय यूट्यूब चैनल्स पर स्ट्रीम किया जाता है. अगर आप उन क्षेत्रों में से एक में रहते हैं जहां यह चंद्र ग्रहण दिखाई देगा, तो आप बिना किसी विशेष उपकरण के इस देखने में सक्षम होंगे.
क्या होता है उपछाया चंद्र ग्रहण?
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं. इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है. ऐसा होता है तो वास्तविक ग्रहण होता है, पर कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल आता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता. इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है. इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा नहीं जा सकता है, इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं.