जितेन्द्र कुमार सिन्हा, समाचार संपादक
पटना, 23 मई, 2025 ::
2020 की शुरुआत में पूरी दुनिया ने जिस वायरस के डर में सांस ली थी, वह एक बार फिर सिर उठाने लगा है। कोरोना वायरस का नया वैरिएंट JN.1 और उसके सब-वैरिएंट जैसे LF.7 और NB.1.8 अब हांगकांग, वियतनाम, हिंसपुर और अन्य देशों में तेजी से फैल रहे हैं। भारत में भी संक्रमण के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। हालांकि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
JN.1 कोरोना वायरस का एक नया वैरिएंट है, जो BA.2.86 (जिसे Pirola कहा जाता है) की उपश्रेणी से आता है। अगस्त 2023 में इसे पहली बार पहचाना गया था। यह वैरिएंट ओमिक्रॉन परिवार से संबंधित है और इसके स्पाइक प्रोटीन में कई म्यूटेशन हैं, जो इसे ज्यादा संक्रामक बनाते हैं।
JN.1 कोरोना वायरस में लगभग 30 म्यूटेशन हैं। यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है। यह तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। WHO ने इसे “Variant of Interest” घोषित किया है।
यह वायरस हॉन्गकॉन्ग, वियतनाम, हिंसपुर में JN.1 और उसके सब-वैरिएंट LF.7, NB.1.8 के कई मामले सामने आए हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी इसकी पुष्टि की गई है। सिंगापुर, जापान जैसे देशों में इस वायरस की वजह से मामूली लॉकडाउन और प्रतिबंधों की बात चल रही है। लेकिन भारत में अब तक JN.1 की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन 257 सक्रिय मामले मंगलवार तक सामने आ चुका है। केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक और गुजरात में नए मामलों की संख्या में हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है।
JN.1 के लक्षण कोविड के पुराने वायरस जैसे ही हैं, लेकिन कुछ मामलों में लक्षण थोड़ा देर से प्रकट हो सकता हैं। इस वायरस में सूखी खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, बुखार, थकावट और कमजोरी, नाक बहना या बंद होना, स्वाद या गंध का चला जाना और शरीर में दर्द होता है। कुछ मरीजों में सांस लेने में दिक्कत या फेफड़ों में संक्रमण जैसे लक्षण भी सामने आए हैं, विशेषकर उन लोगों में जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
अभी तक के अध्ययनों के अनुसार, यह वायरस तेजी से फैलता है, लेकिन इसकी घातकता ज्यादा नहीं है।
येल मेडिसिन के अनुसार, यह वायरस उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो पहले कोविड से ठीक हो चुके हैं या जिन्हें वैक्सीन लगी है। अभी तक के आंकड़ों में ICU में भर्ती होने की दर ज्यादा नहीं है। लेकिन बुजुर्गों, हृदय रोगियों, मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों और कम इम्युनिटी वाले लोगों को खतरा ज्यादा है।
मास्क पहनने से न केवल कोरोना, बल्कि फ्लू और अन्य सांस संबंधी संक्रमणों से भी बचाव होता है। भीड़-भाड़ वाली जगहों, अस्पतालों, मॉल, और सार्वजनिक परिवहन में मास्क अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए। संक्रमित क्षेत्रों के लिए खासतौर पर डबल मास्किंग का चलन वापस आ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइंस में कहा है कि यदि JN.1 के लक्षण कोविड के पुराने वायरस जैसे दिखें तो तुरन्त कोविड टेस्ट कराना चाहिए। बिना जरूरत बाहर न जाएं, खासकर संक्रमित क्षेत्रों में। सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगा कर ही जाएं और सामाजिक दूरी बनाए रखना चाहिए। बार-बार हाथ धोना और सैनिटाइजर का उपयोग करना चाहिए। बूस्टर डोज लेना चाहिए। यानि, ‘Test, Track, Treat, Vaccinate’ की रणनीति पर फिर से जोर दिया जा रहा है।
JN.1 के लिए विशेष वैक्सीन अभी तक नहीं बनी है, लेकिन मौजूदा वैक्सीन और बूस्टर डोज गंभीर संक्रमण से बचा सकता हैं। विशेषज्ञों की राय है कि Covaxin, Covishield, Pfizer और Moderna जैसी वैक्सीन्स संक्रमण को रोकने में नहीं, लेकिन गंभीर बीमारी से बचाने में अब भी कारगर हैं। बूस्टर डोज, खासकर बुजुर्गों और कोमॉर्बिड मरीजों के लिए बहुत जरूरी है।
कोरोना से बचाव के लिए वैज्ञानिक उपायों के साथ-साथ कुछ घरेलू उपायों से भी इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए हल्दी वाला दूध, गुनगुना पानी, तुलसी, अदरक, काली मिर्च का काढ़ा, योग और प्राणायाम, नींद पूरी लेना और तनाव से बचना चाहिए।
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि “हमें घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। कोविड अब एंडेमिक स्टेज में है, लेकिन वैरिएंट बदल सकता हैं। हर 6 महीने में संक्रमण की लहर संभव है।” वहीं ICMR की सलाह है कि रेपिड टेस्ट और जीनोम सिक्वेंसिंग पर ध्यान देना जरूरी है। वैक्सीनेशन कवरेज और बूस्टर डोज की निगरानी की जा रही है।
WHO की चेतावनी है कि “Covid अब भी वैश्विक खतरा है, लेकिन सावधानी, वैक्सीनेशन और जागरूकता से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।”
JN.1 और उसके सब-वैरिएंट्स तेजी से फैल रहा हैं, लेकिन अगर सतर्क रहेंगे, मास्क पहनेंगे, भीड़ से बचेंगे, समय पर वैक्सीन लें लेंगे और सरकारी निर्देशों का पालन करेंगे तो कोई बड़ा खतरा नहीं दिखता है। इस वायरस से बचने के लिए मास्क लगाना, हाथ धोते रहना, लक्षण दिखने पर टेस्ट कराना, अफवाहों से बचना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
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