किसी भी राष्ट्र के गरिमामयी निर्माण के लिए कला संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान : राजीव रंजन प्रसाद
विश्व संगीत दिवस के अवसर पर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस कला संस्कृति प्रकोष्ठ की संगीतमय प्रस्तुति
कला संस्कृति की गुणवत्ता को निखारने एवं प्रतिभाओं को मंच देगा जीकेसी का कला संस्कृति प्रकोष्ठ…श्वेता सुमन
कला संस्कृति की सनातन गरिमा संजोने के लिये जीकेसी प्रतिबद्ध : पवन सक्सेना
कला संस्कृति के संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करेगा जीकेसी :देव कुमार लाल
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (नयी दिल्ली) ), 22 जून ::
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) ने विश्व संगीत दिवस 21 जून के अवसर पर वर्चुअल संगीमय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विश्व संगीत दिवस के अवसर पर जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के द्वारा संगीतमयी संध्या का आयोजन कला संस्कृति के पदाधिकारी श्वेता सुमन , पवन सक्सेना ,प्रेम कुमार , आनंद सिन्हा और देव कुमार लाल ने किया। इस अवसर पर संगीत के हर रंग का समावेश था,।गणेश वंदना , सूफी कथक ,भजन ठुमरी , कजरी , ग़ज़ल आदि संगीत के सारे रंग थे।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव कुमार लाल ने बताया कि विश्व संगीत दिवस 21 जून के उपलक्ष्य पर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के सौजन्य से वर्चुअल संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया।उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्रीमती श्वेता सुमन ने होस्ट किया।
उक्त अवसर पर कार्यक्रम की संचालनकर्ता एवं प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती श्वेता सुमन ने कार्यक्रम की शुरूआत अपनी रचना “माँ सरस्वती को ब्रह्मा ने दिया संगीत विधा के ज्ञान,फैलाये पृथ्वी पर नारद,भरत,हनुमान।।सामवेद में निहित है संगीत विधा का ज्ञान।आत्मा के आनंद में है इसका विशेष स्थान से की, जिसमें उन्होंने बताया कि संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से हुई।उन्होंने संगीत की विधा को देवी सरस्वती को दिया जिसे ग्रहण कर नारद ,भरतजी एवं हनुमान जी ने पृथ्वी लोक पर इसका प्रचार प्रसार किया ।संगीत की लंबी यात्रा रही है, जो स्थापित शास्त्रीय संगीत मंदिर में ,फिर विशेष घरानों में फिर लोक संगीत फिर सिनेमा संगीत लोगों की बोलचाल की भाषा में सबों तक पहुंचा।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने सभी को विश्व संगीत दिवस की शुभकामनाएं देते प्रतिभाओं को मंच देने के इस अनूठे प्रयास की सराहना की और कहा कि संगीत जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।इस दिशा में हम हर संभव प्रयास करेंगे जिससे संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहे। उन्होंने कहा कि कला संस्कृति की सनातन गरिमा संजोने एवं कला संस्कृति के संरक्षण के लिए जीकेसी हर संभव प्रयास करेगा।कला को आकार देने वाले , साधने वाले साधकों के रचनात्मक प्रयासों को सम्मान और अवसर देने का जीकेसी संकल्पित है।
पवन सक्सेना ने कहा, संगीत ईश्वर का दिया हुआ प्राकृतिक उपहार है, जो हमें मानसिक तथा शारीरिक रुप से पूर्णतः स्वस्थ बनाये रखने में हमारी सहायता करता है। संगीत वह शक्तिशाली माध्यम है, जो हमारी ध्यान की शक्ति को बढ़ाता है और हमेशा हमारे जीवन में आयी नकारात्मकता को दूर कर हमे सफलता के ओर अग्रसित करता है।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जबकि कोरोना महामारी ने हमसे बहुत कुछ छीन लिया है, हमारे अपने हमारी आजीविका ऐसे में संगीत एक अच्छा मित्र बनकर हमे इस संकट से उबार सकता है। दिलों दिमाग से खुश रखकर हमे एक ऊर्जावान जीवन दे सकता है। जीकेसी की प्रदेश उपाध्यक्ष नीना मंदिलवार ने कहा कि कला संस्कृति में साहित्य की उत्कृष्टता के लिए नई पीढ़ी को तैयार की ज़रूरत है।
जीकेसी डिजिटल -तकनीकी प्रकोष्ट के ग्लोबल अध्यक्ष आनंद सिन्हा ने बताया कि संगीतमय कार्यक्रम में देश भर के अलग अलग राज्यों से 22 प्रतिभाओं की प्रस्तुति हुई ,जो वर्चुअल कार्यक्रम में अपने आप में अनूठा प्रयास था। उन्होंने बताया कि प्रस्तुति देने वाले लोगों में श्रीमती श्वेता सुमन, देव कुमार लाल, श्रीमती शालू श्रीवास्तव, श्रीमती श्रुति सिन्हा , श्रीमती रूचिता सिन्हा, कुमार संभव, श्रीमती हैप्पी श्रीवास्तव, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव,श्रीमती संपन्नता वरूण, श्रीमती नीना मंदिलवार,श्रीमती विजेता सिन्हा,राकेश सिन्हा , प्रेम कुमार, श्रीमती वंदना श्रीवास्तव, सुबोध नंदन सिन्हा, अभिषेक माथुर, सुष्मिता सिन्हा, आनंद सिन्हा ,प्रवीण बादल , सरनाभो प्रीतीश समेत अन्य शामिल थे।इस खास दिवस पर ,देश विदेश से जीकेसी के पदाधिकारी गण एवं हज़ारों की संख्यां में दर्शक जुड़े। कार्यक्रम के अंत ने धन्ववाद ज्ञापन जीकेसी के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने दिया। उन्होंने सभी को विश्व संगीत दिवस और विश्व योगा दिवस की बधाई दी।