जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 08 अप्रैल ::
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत नवरात्रि शुरू होती है। इस वर्ष चैत नवरात्रि 09 अप्रैल मंगलवार से शुरू होगी। चैत माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 8 अप्रैल को रात्रि 11.50 बजे से शुरू होकर 9 अप्रैल को रात 8.00 बजे तक रहेगी। कलश स्थापना सदैव पूजा घर के ईशान कोण में करना चाहिए।
नवरात्रि में योगिनियों की पूजा करने का भी विधान है। पुराणों के अनुसार, चौसठ योगिनियाँ होती है। सभी योगिनियों को आदिशक्ति माँ काली का अवतार माना गया है। किवदंती है कि घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते समय योगिनियों का अवतार हुआ था और यह सभी माता पार्वती की सखियां हैं।
चौंसठ योगिनियों में (1) बहुरूप, (2) तारा, (3) नर्मदा, (4) यमुना, (5) शांति, (6) वारुणी (7) क्षेमंकरी, (8) ऐन्द्री, (9) वाराही, (10) रणवीरा, (11) वानर-मुखी, (12) वैष्णवी, (13) कालरात्रि, (14) वैद्यरूपा, (15) चर्चिका, (16) बेतली, (17) छिन्नमस्तिका, (18) वृषवाहन, (19) ज्वाला कामिनी, (20) घटवार, (21) कराकाली, (22) सरस्वती, (23) बिरूपा, (24) कौवेरी, (25) भलुका, (26) नारसिंही, (27) बिरजा, (28) विकतांना, (29) महालक्ष्मी, (30) कौमारी, (31) महामाया, (32) रति, (33) करकरी, (34) सर्पश्या, (35) यक्षिणी, (36) विनायकी, (37) विंध्यवासिनी, (38) वीर कुमारी, (39) माहेश्वरी, (40) अम्बिका, (41) कामिनी, (42) घटाबरी, ( 43) स्तुती, (44) काली, (45) उमा, (46) नारायणी, (47) समुद्र, (48) ब्रह्मिनी, (49) ज्वाला मुखी, (50) आग्नेयी, (51) अदिति, (52) चन्द्रकान्ति, (53) वायुवेगा, (54) चामुण्डा, (55) मूरति, (56) गंगा, (57) धूमावती, (58) गांधार, (59) सर्व मंगला, (60) अजिता, (61) सूर्यपुत्री (62) वायु वीणा, (63) अघोर और (64) भद्रकाली योगिनियाँ है।
नवरात्रि में पाठ का प्रारम्भ प्रार्थना से करना चाहिए। उसके बाद दुर्गा सप्तशती किताब से सप्तश्लोकी दुर्गा, उसके बाद श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम, दुर्गा द्वात्रि शतनाम माला, देव्याः कवचम्, अर्गला स्तोत्रम, किलकम, अथ तंत्रोक्त रात्रिसूक्तम, श्री देव्यर्थ शीर्षम का पाठ करने के बाद नवार्ण मंत्र का 108 बार यानि एक माला जप करने के उपरांत दुर्गा सप्तशती का एक-एक सम्पूर्ण पाठ करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति से यह सम्भव नही तो निम्न प्रकार भी पाठ कर सकते है।
जो व्यक्ति एक दिन में सभी पाठ नही कर सकते हैं वे नवरात्रि में पाठ का प्रारम्भ प्रार्थना से शुरू करना चाहिए और उसके बाद दुर्गा सप्तशती किताब से सप्तश्लोकी दुर्गा, उसके बाद श्री दुर्गाष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम, दुर्गा द्वात्रि शतनाम माला, देव्याः कवचम्, अर्गला स्तोत्रम, किलकम, अथ तंत्रोक्त रात्रिसूक्तम, श्री देव्यर्थ शीर्षम का पाठ करने के बाद नवार्ण मंत्र का 108 बार यानि एक माला जप करने के उपरांत-
पहला दिन – प्रथम अध्याय
दूसरा दिन – दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय
तीसरा दिन – पाँचवाँ अध्याय
चौथा दिन – छठा और सातवां अध्याय
पाँचवा दिन – आठवां और नौवां अध्याय
छठा दिन – दसवां और ग्यारहवां अध्याय
सातवाँ दिन – बारहवाँ अध्याय
आठवां दिन – तेरहवां अध्याय
नौवाँ दिन – प्रधानिक रहस्य, वैकृतिक रहस्य एवं मूर्ति रहस्य, कर सकते हैं।
नवरात्रि में भोजन के रूप में केवल गंगा जल और दूध का सेवन करना अति उत्तम माना जाता है, कागजी नींबू का भी प्रयोग किया जा सकता है। फलाहार पर रहना भी उत्तम माना जाता है। यदि फलाहार पर रहने में कठिनाई हो तो एक शाम अरवा भोजन में अरवा चावल, सेंधा नमक, चने की दाल, और घी से बनी सब्जी का उपयोग किया जाता है।
नवरात्रि में पहला दिन प्रथम मां शैलपुत्री, दूसरे दिन द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी, तीसरा दिन तृतीया मां चंद्रघंटा, चौथा दिन चतुर्थी मां कुष्मांडा, पांचवा दिन पंचमी मां स्कंदमाता, छठा दिन षष्ठी मां कात्यायनी, सातवां दिन सप्तमी मां कालरात्रि, आठवां दिन अष्टमी दुर्गा महा अष्टमी, नौवां दिन दुर्गा महानवमी मां सिद्धिदात्री पूजाकी पूजा होती है।
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