जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 24 अप्रैल ::
बिहार सरकार द्वारा जातिगत जनगणना में निषादों को 15 जातियों में बांटकर जनगणना कराने का मुद्दा सुर्खियों में है। बिहार सरकार निषादों की जनसंख्या को कम आंकने के लिए 15 जातियों में बांटकर कर अलग-अलग क्रमांक निर्धारित कर दिया है, ताकि निषादों की ताकत कमजोर दिखे। यह सरकार की एक गहरी राजनीतिक साजिश है। क्योंकि सरकार वैश्यों और यादवों की सभी जाति को एकीकृत किया गया है। इस प्रकार वैश्य एवं यादव को एक एक क्रमांक के अंतर्गत रखा गया है। उक्त बातें VSP के प्रधान महासचिव प्रेम कुमार चौधरी ने कही।
उन्होंने बताया कि जातिगत जनगणना क्रमांक के मामले में जब विकासशील स्वराज पार्टी अपनी विरोध को लेकर सक्रियता दिखाई, तब तथाकथित ठग ऑफ मल्लाह सिंडीकेट के कुछ नेताओ की चेतना जागी हैं, जिसे समाज अच्छी तरह पहचान रहा हैं और अब उन्हें सामाजिक दायित्व का ख्याल आ रहा हैं। जबकि अपने पूर्व के मूल दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। और अक्षम रहे हैं। जबकि नवगठित(VSP) पार्टी समाज हित के मुद्दों को लेकर लगातार आगे आ रही हैं, जिसे समाज का समर्थन भी मिल रहा हैं। तब से ठग ऑफ मल्लाह समूह के तथाकथित नेताओं को अपने जाति की मुद्दों की चिंता होने लगी है और अपनी दुकानदारी बचाने की जुगत लगा रहें हैं, सूत्रों का माने तो समाज का इन तथकथित ठग नेताओं पर भरोसा नहीं रहा, समाज ने निर्णय ले लिया हैं और विकासशील स्वराज पार्टी को अपनी ताकत प्रदान कर रहा है। जिससे VSP पार्टी समता मूलक विकसित समाज का निर्माण करेगी और लगभग तीन दशको से हमारी ताकत (अतिपिछड़ा समाज) के बल पर शासन कर रहे राजनीतिक पार्टियों को दर किनार कर नया बिहार का निर्माण करेगी।