चंपारण एक कृषि प्रधान जिला है। यहां किसानों की संख्या ज्यादा है। अधिकांश जनसंख्या खेती किसानी पर निर्भर हैं।
किसान देश ऑर समाज का अन्नदाता हैं।चूंकि पहले ही इस साल सामान्य से ज्यादा बर्षा होने से ऑर बाढ़ से काफी फसल बरबाद हो गई है।
जो किसान अपनी फसलों से उम्मीद पाले थे वो निराशा के गर्त में डूबते जा रहे हैैं।
रही कसर यूरिया की भारी किल्लत ऑर कालाबाजारी ने दोहरी मार से किसानों की कमर तोड़ दी। यूरिया के बिना किसान खेती कैसे करेंगे ऑर उनका तथा उन लोगों का भारत पोषण कैसे होगा जो खेती पर निर्भर हैं।
किसान पहले से वंचित ऑर परेशान है ऑर यूरिया नहीं मिलने से और परेशान हैं। जहां यूरिया मिल रही है वो काफी महंगी मिल रही है ऑर लूट के तरीके से व्यापारी किसानों का शोषण कर रहे हैं। रामनगर, नरकटियांज, सिकटा, लौरिया , बगहा,धनहा ऑर चनपटिया आदि जगहों पे यूरिया की पूर्ति किसानों को सही नहीं हो पा रहा है।
चूंकि चंपारण में कृषि उत्पादकता ऑर व्यापार में चीनी मिलों का भी प्रभाव हैं परन्तु चीनी मिल कहीं किसानों के यूरिया संबंधित समस्याओं का पूर्ण निराकरण नहीं कर रहा है।
जब किसान को सस्ती बीज, खाद ऑर सहायता नहीं मिले तो कैसे खेती करेगा किसान ?
पहले ही किसानों की खेती वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो पा रही है क्योंकि किसानों के लिए राजनीतिक रुचि नहीं होने के वजह से सरकार ऑर संस्थाएं पूरी ईमानदारी से प्रयत्न नहीं करती केवल दिखावा ही करती हैं।
किसानों की उत्पादकता इससे प्रभावित होगी ऑर देश ऑर समाज में अन्न का उत्पादन कम होगा फलस्वरूप किसान ऑर देश को क्षति होगा।
अतः बाबु धाम ट्रस्ट का मानना है कि इस समस्या को जल्द सुलझाया जाए ।किसानों को उचित मूल्य पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए ताकि समाज और देश में उत्पादन सही हो ऑर किसान ऑर खेती पर निर्भर करनेवालों का भला हो ।