बिहार महिला कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष मंजूबाला पाठक ने बिहार सरकार की तीखी आलोचना की है।उन्होंने कहा ये सरकार का बेरहम रवैया नही देखा जाता।बिहार की जनता त्रस्त है और मुख्यमंत्री और सरकार खुद में ही मस्त है।उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को बिहार दिख ही नही रहा।उनका सारा ध्यान राजस्थान में लगा हुआ है।उनको राजस्थान सरकार को अस्थिर देखना और वहाँ के मुख्यमंत्री को ज्ञान देने से फुरसत ही नही है।लगता है नीतीश जी ने उन्हें ऐसे ही संवेदनहीनता दिखाने के लिए रखा है।मुख्यमंत्री खुद अपने आवास से बाहर आते नही और उपमुख्यमंत्री हर परेशानी का ठीकरा दूसरी सरकारों पर फोड़ देते है।सरकार जब संवेदनहीन हो जाये तो उसे स्वयं ही कुर्सी खाली कर देना चाहिए।
बिहार से हज़ारो वीडियो रोज़ मीडिया में आते है।कही लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे है तो कहीं बाढ़ ने जीवन को तबाह कर दिया है।मजदूरों के पास काम नही और ना खाने को अनाज है।किसान की फसल बर्बाद हो गयी है।अन्नदाता स्वयं अन्न के लिए तरस रहा है।पर इन गरीबो-मज़लूमों की चीखें इस बहरी सरकार को सुनाई नही दे रही।लोग इलाज के अभाव में अपनों को तड़प तड़प कर मरते देख रहे है।पर इस संवेदनहीन सरकार कुम्भकर्णी नींद में सो रही है।कोई भी सरकार का मंत्री हो या मुख्यमंत्री लोगो के बीच उनका दर्द तक बांटने नही जाता।क्या इसी दिन और रात के लिए ये सरकार चुनी गई थी?नीतीश जी को इसका जवाब देना चाहिए।
उन्होंने देश की भाजपा नीत सरकार से भी सवाल किया और पूछा प्रधानमंत्री जी आप किस मुंह से बिहार में वोट मांगने आएंगे?क्या ये तबाही का मंजर आपको नही दिखता?क्या आपकी पार्टी भी गरीब का दुख नही बांट सकती।आप खुद को गरीब का बेटा कहते है तो आपने गरीबो का दर्द क्यों नही समझा?आपके देश के एक राज्य बिहार के लोग हर तरह से परेशान है,मर रहे है आपको नींद कैसे आती है?क्या बिहार को उसका हक नही देंगे आप?प्रदेश में हर तरफ तबाही का मंजर है।
किसान की फसल बर्बाद हो गयी।मजदूरों का काम तबाह हो गया।छात्रों की पढ़ाई पर बट्टा लग गया।रोजगार की कोई बात ही नही।स्वास्थ्य विभाग ने हाथ खड़े कर दिए है।लोगो को मरने के लिए छोड़ दिया गया है।इंसान भूख,बीमारी और आपदा से मर रहा है।मैं नीतीश कुमार को आगाह कर रही हूं कि कुर्सी खुद से छोड़ दें और किसी योग्य व्यक्ति को मौका दे।वैसे भी जनता पर बहुत सितम किये हैं आपने।अपने हिसाब के लिए भी तैयार रहिएगा।