अनूप इंस्टीच्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एण्ड रिहैबिलिटेशन अब पूर्वी भारत का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है जहाँ मेको रोबोटिक आर्म से घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण की सर्जरी उपलब्ध है।

दुनिया के सबसे आधुनिक एवं उन्नत रोबोटिक तकनीक से इस अस्पताल में बिहार के विभिन्न हिस्सों से आए दस मरीजों के जोड़ को बदलकर उनको एक या जीवन दिया गया और

72 घंटों के भीतर छुट्टी भी दे दी गई मेको तकनीक से प्रत्येक रोगी के लिए सर्जरी से पूर्व एक विशेष योजना तैयार किया जाता है। मेको जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी में पूर्ण रूप से एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। इस कोविइ-19 महामारी के दौर में, यह दर्द मुक्त, अधिक सुरक्षित और कम समय में मरीज को घर जाने की सुविधा प्रदान करता है। हमें पटना में इस तकनीक को लाने में गर्व एवं खुशी है। हमारे आस-पास के क्षेत्र के लोगों को अब विश्व स्तर के उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही पटना, रोबोटिक सर्जरी में भारत और दुनिया भर के रोगियों के लिए एक विश्वस्तरीय केन्द्र बन

जाएगा।

सितम्बर 12, पटना, बिहार : अनूप इंस्टीच्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एण्ड रिहैबिलिटेशन ने हड्डी रोग के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए पूर्वी भारत का पहला अस्पताल बना जहाँ दूनिया के सबसे आधुनिक एवं उन्नत मेको लियो 2 रोबोटिक तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण की सर्जरी की गई। इस अवसर पर डॉ आशीष सिंह ने बताया कि अनूप इंस्टीच्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स एण्ड रिहेबिलिटेशन का सतत प्रयास है कि विश्व स्तर की चिकित्सा सुविधा बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सभी लोगों के लिए उपलब्ध हो। हमारे अस्पताल ने मेको तकनीक से दस मरीजों का सफल जोड़-प्रत्यारोपण करके उन्हें दर्द मुक्त जीवन प्रदान किया है। इस अवसर पर डॉ सुशील सिंह ने कहा कि इस उन्नत उपलब्धि को अपने मौजूदा सेवा में ही जोड़कर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के विश्व स्तरीय ईलाज सुलभ करा पा रहे हैं। उत्तर और पूर्वी भारत के किसी भी मेट्रोपोलिटन शहर में यह रोबोटिक तकनीक उपलब्ध नहीं है।

इस अवसर पर संस्थान के चेयरमैन डॉ0 आरoएन0 सिंह ने बताया कि प्रत्येक रोगी के हड्डियों की बनावट अलग होती है और जोड़ की तकलीफ जैसे कि गठिया जोड़ों के बनाबट में अलग-अलग बदलाव लाता है। पारंपरिक सर्जरी में हमारे हाथों एवं आँखों की अपनी एक सीमा थी।

मेको तकनीक की मदद से पहले खराब जोड़ का 3D Model सी.टी. स्कैन से बनाता है। इस 3D Model का इस्तेमाल मरीज विशेष सर्जिकल प्लान बनाने में किया जाता है जो कि प्रत्येक मरीज के लिए अलग-अलग होता है और मरीज के ऑपपेशन ब्येटर में जाने के पहले ही पूरी तैयारी सम्भव कराता है। यह विशेष प्लान ऑपरेशन थियेटर में सटीक कट, इम्प्लांट की बनाबट, आकार, डिजाईन आदि में मदद करता है। यह सारी जानकारी जोड़-प्रत्यारोपण के दीर्घकालिक परिणाम को प्रभावित करते है।

डॉ. सिंह ने कहा कि पारंपरिक घुटना एवं कुल्हा प्रत्यारोपण सर्जरी पिछले तीन दशकों से प्रभावी है परन्तु मेको तकनीक से सर्जरी की सटीकता 95% से 100% तक बढ़ जायेगा। इससे मरीजों को कई लाभ मिलेंगे जैसे कम दर्द, अस्पताल में कम समय तक रहना, सर्जरी के बाद जोड़ का प्राकृतिक अहसास, कम से कम चीरा लगना, कम रक्त की हानि आदि। भारत में 15 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता है मेको तकनीक से शीघ्र राहत संभव है। अनूप इंस्टीच्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एण्ड रिहैबिलिटेशन यह सुनिश्चित कर रहा है कि मरीजों को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं मिले। मेको रोबोटिक आर्म के उपयोग से इस अस्पताल को पटना और बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में एक विश्वस्तरीय मुकाम पर पहुंचा दिया है।

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